जैसा की आप सबको पता है अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि विवाद की कानूनी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और मंदिर का निर्माण जोर शोर से चल रहा है. अब इसी बीच मथुरा में भगवान श्री कृष्ण की जन्म भूमि का मामला देश में तूल पकड़ रहा है और माहौल बेहद गर्म होता जा रहा है. आपको बता दें कि बीते दिन 16 अक्टूबर 2020 को मथुरा जिले के कोर्ट में जज ने भगवान श्री कृष्ण विराजमान की याचिका को स्वीकार कर लिया है, जिसकी अगली सुनवाई 18 नवंबर को तय की गई है. साथ ही साथ आपको बता दें कि कोर्ट में दूसरे पक्ष को भी उनका मत रखने के लिए नोटिस जारी कर दिया है.आपको बता दें कि जो याचिका दायर की गई है, उसमे भगवान श्री कृष्ण जन्म स्थान के समीप में ही बने ईदगाह को हटाने की मांग कुछ लोगों के समूह द्वारा की गई है.
13 एकड़ के मंदिर परिसर के जमीनी के मालिकाना हक के लिए दर्ज कि गई है याचिका :-
याचिका मथुरा के कोर्ट में 12 अक्टूबर को दायर की गई थी, जिसमे याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि भगवान श्री कृष्ण जन्मभूमि के 13 एकड़ के कटरा केशव देव मंदिर के परिसर पर 17 वीं शताब्दी में ईदगाह का निर्माण किया गया था. साथ ही साथ याचिकाकर्ताओं का कहना है कि, अभी के तत्कालीन वक्त में जहां पर मस्जिद निर्मित है वहां कभी कंस का कारागार हुआ करता था और वहीं पर भगवान कृष्ण का मंदिर भी था. याचिकाकर्ताओं ने बताया है कि, कंस के कारागार तुड़वाकर मुगलों ने वहां साही ईदगाह मस्जिद बनवा दी थी.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले को पहले मथुरा की सिविल जज कोर्ट में याचिकाकर्ताओं द्वारा याचिका दाखिल की गई थी, जहां याचिका को खारिज कर दिया गया था. जिसके बाद हिंदू पक्ष ने जिला जज के कोर्ट में अपनी अपील दाखिल की और 13.37 एकड़ जमीन पर भगवान श्री कृष्ण जन्म भूमि का मालिकाना हक मांगा है, जिसमें ईदगाह में शामिल है. आपको बताते चलें कि याचिका में जमीन के मालिकाना हक को लेकर 1968 के हुए समझौते को पूरी तरीके से गलत बताया गया है. आपको बता दें कि याचिकाकर्ताओं की याचिका स्वीकृति होने के बाद श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान, ईदगाह ट्रस्ट, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड शाही मस्जिद ईदगाह को नोटिस भेजा जाएगा
कुछ पुजारियों ने इस याचिकां का विरोध भी किया है :-
स्वीकृति भी दे दी लेकिन पुजारियों का एक समूह ऐसा भी है जो शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने वाली हो याचिका दायर करने की निंदा कर रहा है और इसको पूरी तरीके से गलत बता रहा है. आपको बता दें कि अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के अध्यक्ष महेश पाठक का कहना है कि कुछ बाहरी लोग मथुरा में मंदिर मस्जिद का मुद्दा उठाकर मथुरा की शांति को भंग करने की कोशिश कर रहे हैं. साथ ही साथ महेश पाठक का कहना है कि बीसवीं शताब्दी में दोनों पक्षों के बीच समझौता होने के बाद श्री कृष्ण जन्म स्थान पर मथुरा में कोई मंदिर मस्जिद विवाद नहीं है.
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कुछ पुजारियों ने इस याचिकां का विरोध भी किया है :-
स्वीकृति भी दे दी लेकिन पुजारियों का एक समूह ऐसा भी है जो शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने वाली हो याचिका दायर करने की निंदा कर रहा है और इसको पूरी तरीके से गलत बता रहा है. आपको बता दें कि अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के अध्यक्ष महेश पाठक का कहना है कि कुछ बाहरी लोग मथुरा में मंदिर मस्जिद का मुद्दा उठाकर मथुरा की शांति को भंग करने की कोशिश कर रहे हैं. साथ ही साथ महेश पाठक का कहना है कि बीसवीं शताब्दी में दोनों पक्षों के बीच समझौता होने के बाद श्री कृष्ण जन्म स्थान पर मथुरा में कोई मंदिर मस्जिद विवाद नहीं है.
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