बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि झड़प में दोनों पक्षों को नुकसान हुआ है। अगर चीन की तरफ से दोनों देशों के बीच हुई बातचीत का पालन किया जाता तो इसे टाला जा सकता था। भारत ने हमेशा अपनी सीमा में रहकर ही मूवमेंट किया है। हम उम्मीद करते हैं कि चीन भी ऐसा ही करे।विदेश मंत्रालय ने कहा कि बातचीत के जरिए सीमा पर शांति बनाए रखना जरूरी है। लेकिन, हम मजबूती के साथ यह कहना चाहते हैं कि भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से समझौता नहीं किया जाएगा।45 साल यानी 1975 के बाद भारत-चीन सीमा पर ऐसे हालात बने हैं, जब भारत के जवानों की शहादत हुई है। इस बार कोई गोली नहीं चली। दुनिया की दो एटमी ताकतों के बीच 14 हजार फीट ऊंची गालवन वैली में पत्थर और लाठी से झड़प हुई।
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