भारत और चीन (India and China) के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में भीषण तनातनी के बीच रूस ने उम्मीद जताई है कि दोनों देश विवाद को शीघ्र हल कर लेंगे और दोनों देशों के बीच 'रचनात्मक' संबंध क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बेहद जरूरी है.रूसी दूतावास के उपप्रमुख रोमन बाबुश्किन ने कहा कि रूस को पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद का 'सकारात्मक हल' निकलने की उम्मीद है.बाबुश्किन ने कहा,' दो महान सभ्यताओं के बीच शांतिपूर्ण पड़ोस के खातिर हम सकारात्मक घटनाक्रम की उम्मीद करते हैं. स्थिरता और सतत विकास पर क्षेत्रीय संवाद को बढ़ावा देने के लिए हमारे भारतीय और चीनी दोस्तों के बीच रचनात्मक संबंध बेहद महत्वपूर्ण हैं.
भारत की रणनीति और कूटनीति की एकबार फिर जीत हुई :-
आखिरकार भारत की रणनीति और कूटनीति की एकबार फिर जीत हुई है। डोकलाम की तरह ही पूर्वी लद्दाख में भी चीन की सेनाओं को पीछे हटना पड़ा है। हालांकि, पेट्रोल पॉइंट 14, गोगरा पोस्ट और फिंगर-4 के पास अब भी चीनी सैनिक डटे हुए हैं। चीन की पीएलए ने उन इलाकों से पीछे हटना भी शुरू कर दिया है जहां उसने पिछले कुछ दिनों में अतिक्रमण किया था। ध्यान रहे कि भारत विवाद के जोर पकड़ने के बाद से चीन के साथ द्विपक्षीय बातचीत, एलएसी पर चीन के दबाव में न आकर उसकी सैन्य क्षमता की बराबरी और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का सहारा लेता रहा है।जानकारी मिली है कि चीनी सेना पीएलए की टुकड़ियां गलवान नाला इलाके से 2 किमी पीछे हट गई हैं
क्यूं हटा चीन पीछे :-
तीन दिन बाद 6 जून को लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों की बातचीत से पहले चीनी सैनिकों के रुख में यह बदलाव एक साकारात्मक संदेश देता है। वैसे विवाद शुरू होने के बाद से अब तक भारत और चीन के बीच 10-12 दौर की बातचीत हो चुकी है। बातचीत में चीनी वायु सेना द्वारा लद्दाख के पास आसपास के इलाकों में युद्ध विमानों की उड़ानों का मुद्दा भी उठाया गया।भारत की तरफ से इस मीटिंग में भारतीय सेना की टीम को 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह लीड कर सकते हैं। इसमें लेफ्टिनेंट जनरल के अलावा डिवीजनल कमांडर, एक लोकल ब्रिगेड कमांडर, एक एरिया कमांडिंग ऑफिसर के साथ दो ट्रांसलेटर सहित 1-2 और सेना के अधिकारी शामिल हो सकते हैं। चीन की तरफ से भी इस रैंक के अधिकारी शामिल होंगे।
हालात सामान्य होने तक ढील नहीं बरतेंगे:-
2013 में भारत और चीन के बीच हुए समझौते के अनुसार ग्रे जोन पर किसी भी देश का सैनिक रात नहीं गुजार सकता। दोनों जगह के सैनिक पेट्रोलिंग कर सकते हैं लेकिन वहां रुक नहीं सकते। ग्रे जोन वो एरिया हैं जहां भारत और चीन के अपने-अपने दावे हैं। लेकिन चीनी सैनिकों ने इसका उल्लंघन किया और ग्रे जोन में आकर टेंट लगा लिए। भारत उसे अपना इलाका मानता है और चीन अपना। एक अधिकारी के मुताबिक भारत के सैनिक अभी भी डटे हैं और वह हालात सामान्य होने तक ढील नहीं बरतेंगे।
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