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प्रयागराज (Prayagraj) में दंगाइयो (rioters) के पोस्टर को ले कर हाईकोर्ट (High Court) ने जो आदेश दिया था उसके बाद अचानक ही कुछ लोगों में ख़ुशी की लहर दौड़ती जैसी दिखाई दी थी, हालात तो यहां तक बना डाले गये कि इस फैसले की तरह उन्हें जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट (Jammu and Kashmir High Court) से भी आशा दिखने लगी और सवाल पैलेट गन (pellet gun) तक उठा डाले.लेकिन उस मामले में उन्हें मुह की तब खानी पड़ी जब जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने उनके मनमाफिक फैसला नही दिया. विदित हो कि जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख (Union Territories of Jammu and Kashmir and Ladakh) में पैलेट गन के उपयोग पर बैन लगाने से इनकार कर दिया है। उच्च न्यायालय का यह फैसला कश्मीर घाटी में तैनात सुरक्षा कर्मियों के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है। जम्मू-कश्मीर में प्रदर्शनकारियों पर पैलेट गन का उपयोग करने के खिलाफ साल २०१६ में जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई थी.इस एतिहासिक फैसले को देते हुए उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि बिना किसी सक्षम अथॉरिटी की जांच के बिना, हम यह फैसला नहीं कर सकते हैं कि किसी घटना में जरूरत से ज्यादा बल का उपयोग किया गया या नहीं ?
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