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56 सीटें जीतने वाली शिवसेना ने कैसे जुटा लिए 170 विधायक, देखती रह गई BJP.




नमस्कार दोस्तों आप सबका स्वागत है भारत आइडिया के इस  नए संस्करण के समाचार लेख में। भारत आइडिया के पाठकों आज इस लेख में हम बात करेंगे 56 सीटें जीतने वाली शिवसेना ने कैसे जुटा लिए 170 विधायक, देखती रह गई BJP.

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आईसीसी 
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के 12 दिन बाद भी सरकार बनाने की कवायद किसी नतीजे तक नहीं पहुंच सकी है। इसी बीच सरकार गठन की खींचतान महाराष्ट्र से निकलकर दिल्ली तक पहुंच गई है, लेकिन रहस्यों के पर्दा हटने का इंतजार अब भी इंतजार ही है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि जल्द ही सरकार बनेगी। लेकिन सवाल है कि क्या वाकई ये उतना है, जितना कि फडणवीस है? अगर हां तो फिर चुनावी नतीजों के 12 दिन बाद भी नई सरकार क्यों नहीं बनी? क्यों बीजेपी की सहयोगी शिवसेना इतिहास के पन्ने पन्ने पलट रही है? क्यों शिवसेना बीजेपी को 170 विधायकों का धौंस दिखा रही है।

हालांकि बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे की माने तो जनता ने बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को जनादेश दिया है। दानवे कहते हैं कि हमारे बीच कोई लड़ाई नहीं है, हम बैठकर सभी मुद्दे सुलझा लेंगे। लेकिन सवाल कि इन 12 दिनों के अंदर कई बैठके हुई और हो भी रही है, लेकिन महाराष्ट्र को अब तक कोई सीएम क्यों नहीं मिला? वहीं इन सभी मामलों के बीच शिवसेना नेता संजय राउत के नये दावे ने बीजेपी और शिवसेना के बीच गहरी होती खाई की खुदाई कर दी है। एक तरफ शिवसेना प्रमुख के राइट हैंड और राज्यसभा सांसद संजय राउत अंतिम समय तक गठबंधन धर्म निभाने की बात करते हैं, वहीं दूसरी तरफ वह बीजेपी को 170 से 175 विधायकों के समर्थन का भी धैंस दिखा रहे हैं।




अब जरा ये गणित भी समझिए कि आखिर 56 सीटें जीतने वाली शिवसेना 170 से 175 विधायकों के समर्थन का दावा कैसे कर रही है।दरअसल, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के तहत 288 सीटों पर हुए चुनाव में 105 सीटें जीत कर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। और सूत्रों का दावा है कि निर्दलीय और अन्य छोटी पार्टियों की मदद से बीजेपी को 121 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। जबकि 56 सीटें जीतने वाली शिवसेना एनसीपी की 54 और कांग्रेस के 44 सीटों और कुछ अन्य विधायकों के सहारे 170 से 175 विधायकों के समर्थन का दावा कर रही है। हालांकि शिवसेना के लिए यह राह उतनी भी आसान नहीं है, लेकिन अगर वाकई ऐसी गणित बनती है तो यह बीजेपी के किसी बड़े झटके से कम नहीं है। अगर वाकई शिवसेना विरोधियों को दोस्त बनाने में सफल रहती है तो उसका सीएम का सपना भी साकार होने करीब है। जिसके लिए वह अपनी 30 साल पुरानी सहयोगी के साथ दो-दो हाथ करने को तैयार है।

आपको बता दें कि 12 दिन बाद भी महाराष्ट्र में नई सरकार की तस्वीर साफ नहीं हुई है, लेकिन जिस तरह से इन दिनों बैठकों का दौर चल रहा है। उससे ऐसा संभव है कि आने वाले दिनों में सरकार पर जारी संस्य खत्म हो सकती है। लेकिन ऐसा कब तक होगा इसके लिए अभी थोड़ा इंतजार और करना होगा।

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