नमस्कार मित्रों आप सभी का स्वागत है भारत वीडियो में, आज हम बात करने वाले है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने जो ईरान से भारत की करीबियों को बढ़ाया है उसके बारे में,दोनों देशों के बीच चाबहार बंदरगाह जैसे बड़े प्रोजेक्ट में शुरू हुए हैं। आइए जानते हैं विस्तार से!
अमेरिका और ईरान के बीच चली आ रही तल्खी का असर भारत समेत दूसरे तेल आयातक देशों पर क्या होगा। इसे लेकर ट्रंप प्रशासन ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा कि ईरान पर जारी हुए इसके प्रतिबंध सख्ती से लागू रहेंगे,लेकिन भारत समेत आठ देशों को ईरान से तेल खरीदने की छूट दी गई है , हालांकि यह मोहलत अस्थायी है।
अस्थायी है छूट
पोम्पेओ ने सोमवार को कहा , हमनेे खास परिस्थितियोंं को तथा बाजार मेंं पर्याप्त मात्रा मैं तेल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कुछ गिने-चुनेे देशों को ईरान से तेल आयात की छूट अस्थायी रूप देने का फैसला किया है। अमेरिका यह छूट चीन,भारत,इटली,यूनान,जापान,दक्षिण कोरिया, ताइवान और तुर्की को देगा।
ईरान पर जारी रहेग दवाब
पोम्पेओ ने संकल्प जताया कि ईरान पर दबाव बनाने के लिए अमेरिका हर संभव प्रयास करता रहेगा । उन्होंने कहा कि इन देशों ने पहले ही महीने से ईरान से कच्चे तेल की खरीद पहले ही काफी कम कर दी है । अमेरिका ने ईरान सरकार के व्यवहार में बदलाव लाने के लिए उस पर ,अब तक के सबसे सख्त प्रतिबंध लगाए हैं , इन प्रतिबंधों के तहत ईरान के बैंक और ऊर्जा क्षेत्र को शामिल किया गया है। ईरान से तेल आयात नहीं रोकने वाले यूरोप एशिया और अन्य देशों पर जुर्माना भी तय है।
भारत बड़ा आयातक
आपको बता दें कि भारत और चीन ईरान से कच्चे तेल के सबसे बड़े खरीदार हैं। पॉम्पियो ने कहा कि इन 8 में से दो देश पहले ही ईरान से कच्चे तेल का आयात सुनने पर ले आए हैं, और जब तक पाबंदी रहेगी वह आयात शुरू नहीं करेंगे,उन्होंने कहा हम सभी देशों से आयात सुनने स्तर पर लाने को लेकर बातचीत जारी रखेंगे।
डोनाल्ड ट्रम्प के सख्त तेवर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मई में 2015 में हुए परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया था। ट्रंप ने कहा था कि वह ईरान को परमाणु मुद्दे पर फिर से बातचीत की मेज पर वापस लाना चाहते हैं ।अमेरिकी सरकार यह भी कह चुकी है कि वह साइबर हमले , बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण पश्चिमी एशिया में आतंकी समूहों का समर्थन जैसी ईरान की घातक गतिविधियों को रोकना चाहती है।
संपादक:आशुतोष उपाध्याय
अमेरिका और ईरान के बीच चली आ रही तल्खी का असर भारत समेत दूसरे तेल आयातक देशों पर क्या होगा। इसे लेकर ट्रंप प्रशासन ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा कि ईरान पर जारी हुए इसके प्रतिबंध सख्ती से लागू रहेंगे,लेकिन भारत समेत आठ देशों को ईरान से तेल खरीदने की छूट दी गई है , हालांकि यह मोहलत अस्थायी है।
अस्थायी है छूट
पोम्पेओ ने सोमवार को कहा , हमनेे खास परिस्थितियोंं को तथा बाजार मेंं पर्याप्त मात्रा मैं तेल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कुछ गिने-चुनेे देशों को ईरान से तेल आयात की छूट अस्थायी रूप देने का फैसला किया है। अमेरिका यह छूट चीन,भारत,इटली,यूनान,जापान,दक्षिण कोरिया, ताइवान और तुर्की को देगा।
ईरान पर जारी रहेग दवाब
पोम्पेओ ने संकल्प जताया कि ईरान पर दबाव बनाने के लिए अमेरिका हर संभव प्रयास करता रहेगा । उन्होंने कहा कि इन देशों ने पहले ही महीने से ईरान से कच्चे तेल की खरीद पहले ही काफी कम कर दी है । अमेरिका ने ईरान सरकार के व्यवहार में बदलाव लाने के लिए उस पर ,अब तक के सबसे सख्त प्रतिबंध लगाए हैं , इन प्रतिबंधों के तहत ईरान के बैंक और ऊर्जा क्षेत्र को शामिल किया गया है। ईरान से तेल आयात नहीं रोकने वाले यूरोप एशिया और अन्य देशों पर जुर्माना भी तय है।
भारत बड़ा आयातक
आपको बता दें कि भारत और चीन ईरान से कच्चे तेल के सबसे बड़े खरीदार हैं। पॉम्पियो ने कहा कि इन 8 में से दो देश पहले ही ईरान से कच्चे तेल का आयात सुनने पर ले आए हैं, और जब तक पाबंदी रहेगी वह आयात शुरू नहीं करेंगे,उन्होंने कहा हम सभी देशों से आयात सुनने स्तर पर लाने को लेकर बातचीत जारी रखेंगे।
डोनाल्ड ट्रम्प के सख्त तेवर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मई में 2015 में हुए परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया था। ट्रंप ने कहा था कि वह ईरान को परमाणु मुद्दे पर फिर से बातचीत की मेज पर वापस लाना चाहते हैं ।अमेरिकी सरकार यह भी कह चुकी है कि वह साइबर हमले , बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण पश्चिमी एशिया में आतंकी समूहों का समर्थन जैसी ईरान की घातक गतिविधियों को रोकना चाहती है।
संपादक:आशुतोष उपाध्याय