अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को लेकर बेहद सख्त बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जेलेंस्की चाहें तो रूस-यूक्रेन युद्ध तुरंत रोक सकते हैं, लेकिन यह उनके फैसले पर निर्भर है। हाल ही में अलास्का में ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच लंबी बैठक हुई थी, जिसके बाद ट्रंप ने संकेत दिए कि अब शांति स्थापित करने की जिम्मेदारी यूक्रेन के राष्ट्रपति की है। इस बीच, जेलेंस्की अमेरिका पहुँच गए हैं और उन्होंने साफ कर दिया है कि यूक्रेन अपनी संप्रभुता और अखंडता से कोई समझौता नहीं करेगा।
ट्रंप की धमकाती हुई टिप्पणी
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर पोस्ट लिखते हुए जेलेंस्की को सीधे चुनौती दी। उन्होंने कहा:
“यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की चाहें तो रूस के साथ युद्ध तुरंत खत्म कर सकते हैं, या फिर वे इस लड़ाई को और खींच सकते हैं। याद कीजिए कि इस संघर्ष की शुरुआत कैसे हुई थी।”
यह बयान केवल चेतावनी नहीं बल्कि दबाव का प्रतीक है। ट्रंप यह दिखाना चाह रहे हैं कि अमेरिका और रूस के बीच किसी समझौते की गुंजाइश तभी बनेगी जब जेलेंस्की झुकने को तैयार हों।
ट्रंप-पुतिन बैठक: क्या निकला नतीजा?
हाल ही में अलास्का में ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के बीच लंबी मुलाकात हुई।
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बैठक के बाद ट्रंप ने इसे “सार्थक” बताया।
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उन्होंने यह भी संकेत दिया कि शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी अब जेलेंस्की की होगी।
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हालांकि, किसी ठोस समझौते की घोषणा नहीं हुई।
ट्रंप का रुख साफ है—अमेरिका युद्ध खत्म करने का श्रेय लेना चाहता है, लेकिन यह जिम्मेदारी यूक्रेन के कंधों पर डाल रहा है।
क्रीमिया और NATO पर ट्रंप का दो-टूक
ट्रंप ने अपने पोस्ट में स्पष्ट कर दिया कि:
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क्रीमिया वापस नहीं मिलेगा – रूस ने इसे 2014 में ओबामा शासनकाल के दौरान बिना गोली चलाए कब्जा कर लिया था।
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यूक्रेन को NATO में जगह नहीं मिलेगी – ट्रंप ने कहा, “कुछ चीजें कभी नहीं बदलतीं।”
इस बयान से साफ होता है कि ट्रंप किसी भी कीमत पर रूस को क्रीमिया से पीछे नहीं धकेलना चाहते। वहीं, NATO की सदस्यता यूक्रेन का सबसे बड़ा सपना रहा है, लेकिन ट्रंप ने उसे खारिज कर दिया।
रूस का NATO विरोध और संघर्ष की जड़
रूस लगातार इस बात का विरोध करता रहा है कि यूक्रेन को NATO में शामिल किया जाए।
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रूस की दलील है कि NATO का विस्तार उसकी सुरक्षा के लिए खतरा है।
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मौजूदा संघर्ष की सबसे बड़ी वजह भी यही है कि यूक्रेन NATO में शामिल होने की पहल कर रहा था।
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जनवरी 2025 में, ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने से पहले, NATO देशों ने यूक्रेन की सदस्यता को लेकर सहमति भी जताई थी।
यानी यह साफ है कि ट्रंप का रुख रूस की शर्तों के ज्यादा करीब है, न कि यूक्रेन की।
जेलेंस्की का पलटवार
अमेरिका पहुँचने के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा:
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“हम अपनी अखंडता और संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करेंगे।”
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युद्ध रोकने के लिए वे तैयार हैं, लेकिन अपनी शर्तों पर।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि यूक्रेन किसी भी शांति समझौते में सुरक्षा गारंटी चाहता है। इसके लिए ट्रंप की पहल को उन्होंने सकारात्मक बताया।
क्या पुतिन मान गए सुरक्षा समझौते पर?
एक अमेरिकी प्रतिनिधि के अनुसार, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के लिए एक “NATO जैसे सुरक्षा समझौते” पर सहमति जता दी है।
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इसका मतलब है कि भले ही यूक्रेन NATO का सदस्य न बने, लेकिन उसे सुरक्षा की गारंटी दी जा सकती है।
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हालांकि, यह गारंटी किस तरह लागू होगी, इस पर अभी सस्पेंस है।
यूरोपीय नेताओं से ट्रंप की मुलाकात
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NATO महासचिव मार्क रूटे
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ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सर कीर स्टारमर
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फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों
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इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी
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जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज
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फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब
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यूरोपीय यूनियन की अध्यक्षा उर्सुला वॉन डेर लेयन
ट्रंप ने इस अवसर को “व्हाइट हाउस का बड़ा दिन” बताया और कहा कि इतने सारे यूरोपीय नेता एक साथ पहले कभी नहीं आए।
ट्रंप, जेलेंस्की और अमेरिकी उपराष्ट्रपति की बहस
पहले भी व्हाइट हाउस में जब ट्रंप, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और जेलेंस्की मिले थे, तब जमकर बहसबाजी हुई थी।
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ट्रंप ने जेलेंस्की पर आरोप लगाया कि वे युद्ध को अनावश्यक रूप से लंबा खींच रहे हैं।
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जेलेंस्की ने पलटवार करते हुए कहा कि यह “यूक्रेन की संप्रभुता की लड़ाई” है।
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वेंस ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, लेकिन माहौल गरमा गया।
इससे यह साफ होता है कि शांति प्रक्रिया आसान नहीं होने वाली है।
नोबेल शांति पुरस्कार की चाहत?
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप इस संघर्ष को खत्म कर “वैश्विक शांति नायक” बनने की कोशिश कर रहे हैं।
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वे अगला नोबेल शांति पुरस्कार पाने के लिए उतावले दिख रहे हैं।
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इसके लिए वे किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं, भले ही इसका मतलब यूक्रेन पर दबाव डालना ही क्यों न हो।
क्या यूक्रेन झुकेगा?
सबसे बड़ा सवाल यही है—क्या जेलेंस्की ट्रंप और पुतिन की शर्तों के आगे झुकेंगे?
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अगर वे मानते हैं, तो युद्ध समाप्त हो सकता है, लेकिन यूक्रेन को क्रीमिया और NATO जैसी अहम मांगों से हाथ धोना पड़ेगा।
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अगर वे नहीं मानते, तो संघर्ष लंबा खिंच सकता है और यूक्रेन को और अधिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
आगे की राह
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व्हाइट हाउस में होने वाली बहुपक्षीय बैठक से बड़ी उम्मीदें हैं।
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यदि यूरोपीय नेता, अमेरिका और रूस किसी साझा फ्रेमवर्क पर सहमत हो जाते हैं, तो युद्ध के अंत की शुरुआत हो सकती है।
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हालांकि, यूक्रेन की शर्तों और पुतिन की मांगों के बीच सेतु बनाना बेहद कठिन होगा।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप ने जेलेंस्की को जिस आक्रामक लहजे में चेतावनी दी है, उससे यह साफ हो गया है कि अब अमेरिका खुलकर रूस के पक्ष में खड़ा है। क्रीमिया और NATO मुद्दे पर ट्रंप का बयान यूक्रेन के लिए झटका है। जेलेंस्की अपनी संप्रभुता पर कोई समझौता करने को तैयार नहीं हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ता जा रहा है। यूरोपीय नेताओं की आगामी बैठक से उम्मीद की जा रही है कि कोई ठोस शांति प्रस्ताव सामने आ सकता है।
महत्वपूर्ण आँकड़े (Important Stats)
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रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत: 24 फरवरी 2022
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क्रीमिया पर रूस का कब्ज़ा: 2014 (ओबामा प्रशासन के दौरान)
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युद्ध में हताहत:
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यूक्रेन: अनुमानित 70,000 से अधिक सैनिक
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रूस: अनुमानित 1,20,000 से अधिक सैनिक
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नागरिक मौतें: 30,000+ (UN रिपोर्ट के अनुसार)
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शरणार्थी: 8 मिलियन से अधिक यूक्रेनी नागरिक यूरोप के अलग-अलग देशों में विस्थापित
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NATO सदस्य देश: 32
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ट्रंप की हालिया मुलाकातें:
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पुतिन (अलास्का)
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यूरोपीय नेताओं की आगामी बैठक व्हाइट हाउस में
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यूक्रेन की प्रमुख मांगें: संप्रभुता की गारंटी, NATO जैसी सुरक्षा व्यवस्था
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रूस की प्रमुख मांगें: यूक्रेन की NATO सदस्यता पर रोक, क्रीमिया को मान्यता