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हाजीपुर सदर अस्पताल, गार्ड को डंडे से पीटा गया, पढ़े पुरी खबर

समस्तीपुर जिले के पटोरी थाना क्षेत्र में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। डिलीवरी वार्ड में ड्यूटी पर लगे रतन कुमार पर उनके सुपरवाइजर सत्येंद्र सिंह ने डंडे से हमला कर दिया। रतन कुमार ने बताया कि वह पूरी रात ड्यूटी कर रहे थे और सुबह रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने के बाद ड्यूटी पोस्ट बदलने का अनुरोध किया। इस सामान्य अनुरोध पर सुपरवाइजर ने उन पर हिंसक हमला किया। घटना के बाद रतन कुमार का इलाज हाजीपुर सदर अस्पताल में जारी है। यह मामला केवल व्यक्तिगत विवाद नहीं बल्कि स्वास्थ्य विभाग में मनमानी और हिंसा की एक गंभीर समस्या को उजागर करता है।

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ड्यूटी के दौरान हुई घटना

रतन कुमार का कहना है कि रातभर की थकावट के बावजूद उन्होंने पूरी जिम्मेदारी से ड्यूटी निभाई। सुबह जब उन्होंने ड्यूटी पोस्ट बदलने के लिए सुपरवाइजर से अनुरोध किया, तब उन्हें हिंसक व्यवहार का सामना करना पड़ा। सुपरवाइजर ने बिना किसी चेतावनी के उनके सिर पर डंडे से हमला किया। इस हमले में रतन कुमार गंभीर रूप से घायल हुए। वार्ड में अन्य कर्मचारियों ने तुरंत मदद की और उन्हें अस्पताल पहुंचाया। यह घटना स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारियों की सुरक्षा और अधिकारों की अनदेखी को उजागर करती है।

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सुपरवाइजर का मनमाना व्यवहार

रतन कुमार ने बताया कि सुपरवाइजर सत्येंद्र सिंह अक्सर मनमाने तरीके से कर्मचारियों से काम लेते हैं। वह गार्ड्स और अन्य स्टाफ को धमकाते हैं और विरोध करने पर गाली-गलौज तथा हिंसक व्यवहार करते हैं। कर्मचारियों के अनुसार यह कोई पहली घटना नहीं है; कई बार स्टाफ ने शिकायतें की हैं लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इस प्रकार का व्यवहार कार्यस्थल में तनाव, भय और असुरक्षा पैदा करता है। कर्मचारी मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित होते हैं, जिससे उनका कामकाज प्रभावित होता है।

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कर्मचारियों की प्रतिक्रिया

वार्ड में काम करने वाले अन्य कर्मचारियों ने बताया कि रतन कुमार पर हमला केवल व्यक्तिगत विवाद का परिणाम नहीं है। यह सुपरवाइजर के लंबे समय से जारी हिंसक और अपमानजनक व्यवहार का हिस्सा है। कर्मचारी डर के कारण आवाज नहीं उठा पाते। कई कर्मचारी इस कारण मानसिक तनाव में रहते हैं। वार्ड स्टाफ का कहना है कि ऐसी घटनाएँ स्वास्थ्य विभाग के माहौल और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं।

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अस्पताल और उपचार

घायल रतन कुमार को हाजीपुर सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों के अनुसार उनकी स्थिति स्थिर है लेकिन गंभीर चोटें लगी हैं। अस्पताल प्रशासन ने घटना की सूचना स्वास्थ्य विभाग को दी है। इलाज के दौरान रतन कुमार ने बताया कि उनके सिर और शरीर के अन्य हिस्सों पर चोटें आई हैं। उन्हें कई दिन तक अस्पताल में रहकर उपचार करवाना पड़ेगा। यह घटना अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के लिए चेतावनी है कि कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना प्राथमिकता हो।

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विभागीय कार्रवाई की आवश्यकता

घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि मामले की जांच की जाएगी। कर्मचारी और स्थानीय लोग विभाग से मांग कर रहे हैं कि सुपरवाइजर के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। यह घटना न केवल रतन कुमार के लिए बल्कि अन्य कर्मचारियों के लिए भी संदेश देती है कि यदि किसी ने भी अपने अधिकारों की बात की तो उसका उत्पीड़न हो सकता है। विभागीय कार्रवाई से अन्य कर्मचारियों में सुरक्षा और न्याय का भरोसा बढ़ सकता है।

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कानूनी पहलुओं पर चर्चा

रतन कुमार ने पुलिस में भी शिकायत दर्ज कराई है। कानूनी रूप से यह हमला आपराधिक हमला और कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन माना जा सकता है। कानून के अनुसार, किसी भी कर्मचारी के साथ इस प्रकार का हिंसक व्यवहार अपराध है। यदि उचित कार्रवाई नहीं हुई तो यह घटना अन्य कर्मचारियों के लिए भी खतरे का संकेत बनेगी। यह मामले में न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन जरूरी है।

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कार्यस्थल में हिंसा और उसकी रोकथाम

समस्तीपुर की यह घटना स्वास्थ्य विभाग में कार्यस्थल हिंसा की समस्या को उजागर करती है। कार्यस्थल पर हिंसा, धमकी और मनमानी कर्मचारी के मानसिक स्वास्थ्य और कार्यक्षमता को प्रभावित करती है। इसे रोकने के लिए विभाग को सख्त नियम, शिकायत प्रबंधन और निगरानी प्रणाली लागू करनी होगी। कर्मचारियों के लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल सुनिश्चित करना प्राथमिकता होनी चाहिए।

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स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

स्थानीय लोग और कर्मचारी घटना से बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि यह केवल रतन कुमार का मामला नहीं है, बल्कि पूरे क्षेत्र में कर्मचारियों की सुरक्षा और अधिकारों के लिए चिंता का विषय है। लोग मांग कर रहे हैं कि स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन तुरंत उचित कदम उठाए। कर्मचारी चाहते हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जाए और दोषियों को सजा मिले।

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निष्कर्ष

समस्तीपुर में रतन कुमार पर हमला केवल व्यक्तिगत हिंसा का मामला नहीं है। यह स्वास्थ्य विभाग में मनमानी, हिंसा और कर्मचारियों के अधिकारों की अनदेखी को उजागर करता है। घटना के बाद प्रशासन और विभाग पर दबाव है कि वे गंभीर और तत्काल कार्रवाई करें। कर्मचारियों की सुरक्षा, सम्मान और न्याय सुनिश्चित करना न केवल कानून की आवश्यकता है, बल्कि एक स्वस्थ कार्यस्थल के लिए भी अनिवार्य है। रतन कुमार की सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करना पूरी समाज के लिए संदेश होगा कि किसी के अधिकारों के साथ खिलवाड़ नहीं किया जाएगा।

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