भारत की मोदी सरकार ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि देश की संप्रभुता और सुरक्षा के सवाल पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। हाल ही में एक अहम फैसला लेते हुए सरकार ने इंडिगो एयरलाइंस को तुर्किए (पुराना नाम: तुर्की) के साथ डैम्प लीज (विमान पट्टा) संबंध समाप्त करने का आदेश दिया है। इसके लिए इंडिगो को तीन महीने की डेडलाइन दी गई है और यह डील 31 अगस्त 2025 तक पूरी तरह खत्म करनी होगी।
✈️ क्या है डैम्प लीज (Damp Lease) और क्यों है यह महत्त्वपूर्ण?
डैम्प लीज एक प्रकार की विमान पट्टा प्रणाली होती है, जिसमें एक एयरलाइंस दूसरी एयरलाइंस से विमान किराए पर लेती है, लेकिन उसमें पायलट और तकनीकी स्टाफ पट्टेदार एयरलाइंस की ओर से होता है जबकि केबिन क्रू स्थानीय एयरलाइंस का होता है।
इंडिगो ने पिछले साल तुर्किए एयरलाइंस से कुछ एयरक्राफ्ट डैम्प लीज पर लिए थे, जिससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में वृद्धि हो सके। पर अब भूराजनीतिक समीकरणों में बदलाव के चलते यह सहयोग सवालों के घेरे में आ गया है।
🌍 तुर्किए की पाकिस्तानपरस्ती बनी टकराव का कारण
तुर्किए लगातार पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को मज़बूत कर रहा है, विशेषकर कश्मीर मुद्दे पर भारत विरोधी बयानबाज़ी और संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का समर्थन। हाल ही में "ऑपरेशन सिंदूर" के दौरान भी तुर्किए ने अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान का समर्थन किया, जो भारत की सुरक्षा और कूटनीतिक नीतियों के खिलाफ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इसे राष्ट्रीय स्वाभिमान और आत्मनिर्भर भारत की भावना के विरुद्ध मानते हुए यह निर्णय लिया है।
📌 ऑपरेशन सिंदूर: तुर्किए के पक्षपातपूर्ण रवैये की एक झलक
"ऑपरेशन सिंदूर" एक महत्वपूर्ण सैन्य और मानवीय अभियान था, जिसे भारत ने हाल ही में कुछ पड़ोसी देशों में चलाया था। इस दौरान पाकिस्तान ने भारत के अभियान को न केवल बाधित करने की कोशिश की, बल्कि उसके खिलाफ प्रचार भी किया।
चौंकाने वाली बात यह रही कि तुर्किए ने पाकिस्तान के इस रुख का समर्थन किया, जो भारत की विदेश नीति और सुरक्षा हितों के विपरीत था।
📉 आंकड़ों में समझें तुर्किए से भारत का एविएशन सहयोग
- वर्ष 2023 में इंडिगो ने तुर्किए एयरलाइंस से 5 एयरबस A321 विमान डैम्प लीज पर लिए।
- तुर्किए एयरलाइंस के साथ यह समझौता लगभग ₹700 करोड़ का था।
- इंडिगो की कुल अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में से 8% उड़ानें तुर्किए से जुड़ी हुई थीं।
अब इन सब पर विराम लगने जा रहा है।
🔥 मोदी सरकार की नीति: "भारत विरोधियों से कोई व्यापार नहीं"
मोदी सरकार की विदेश नीति में "नेशन फर्स्ट" का सिद्धांत सबसे ऊपर है। इससे पहले भी सरकार ने:
- चीन के साथ तनाव के समय 200 से अधिक चीनी ऐप्स बैन किए।
- पाकिस्तान से सभी व्यापारिक संबंध समाप्त कर दिए।
- मालदीव के साथ भी सैन्य और पर्यटन संबंधों की समीक्षा की।
अब तुर्किए को लेकर यह फैसला उसी नीति का विस्तार है।
🗣️ जानकारों की राय
विदेश नीति विशेषज्ञ, डॉ. रजत शर्मा के अनुसार:
"भारत अब प्रतीक्षा नहीं करता, वह सीधे कार्रवाई करता है। तुर्किए का पाकिस्तान के साथ गठबंधन भारत को स्वीकार नहीं है। यह फैसला सामरिक दृष्टि से पूरी तरह उचित है।"उड्डयन क्षेत्र के विश्लेषक, नीलेश जैन कहते हैं:
"इंडिगो को तुर्किए से डील खत्म करने में लॉजिस्टिक कठिनाइयाँ आएँगी, लेकिन सरकार ने उन्हें पर्याप्त समय दिया है। इससे देश की सुरक्षा प्राथमिकता को बल मिलेगा।"
🔄 इंडिगो का जवाब और आगे की रणनीति
इंडिगो एयरलाइंस ने सरकार के निर्देश पर तुरंत प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि वे 31 अगस्त 2025 तक सभी तुर्किए-सम्बंधित पट्टों को समाप्त कर देंगे। एयरलाइन अब अन्य देशों या घरेलू विकल्पों से विमान लीज पर लेने की योजना बना रही है।
🔍 वैकल्पिक साझेदार कौन हो सकते हैं?
इंडिगो अब अपने लीज साझेदारों के तौर पर निम्न देशों पर विचार कर सकती है:
- फ्रांस (Airbus के साथ मजबूत संबंध)
- अमेरिका (Boeing आधारित पट्टे)
- संयुक्त अरब अमीरात (Etihad या Emirates के साथ सहयोग)
- भारत में टाटा ग्रुप के साथ कोड शेयरिंग बढ़ाना
📢 जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस फैसले को लेकर जबरदस्त समर्थन देखा गया।
#BoycottTurkey और #IndiaFirst ट्रेंड करने लगे। लोग मानते हैं कि जो देश भारत विरोधी ताकतों के साथ खड़ा हो, उससे व्यापारिक संबंध रखना राष्ट्रहित में नहीं।
📌 निष्कर्ष: रणनीतिक और नैतिक निर्णय
तुर्किए के साथ डील खत्म करने का फैसला सिर्फ व्यापारिक नहीं, बल्कि रणनीतिक और नैतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह संदेश स्पष्ट है:
"भारत अब नीतियों के मामले में नर्म नहीं, निर्णायक है।"
मोदी सरकार के इस फैसले से एक तरफ जहां तुर्किए को स्पष्ट संदेश गया है, वहीं इंडिगो जैसी निजी कंपनियों को भी यह सीख मिली है कि राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं।
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