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ऑपरेशन सिंदूर: तुर्की ड्रोन की विफलता और भारत की ड्रोन शक्ति की जीत

ऑपरेशन सिंदूर में तुर्की के ड्रोन पूरी तरह विफल रहे, जबकि भारतीय SkyStriker, Swarm Drones और Israeli Harop ने पाकिस्तान और चीन की सैन्य प्रणालियों को ध्वस्त किया। जानिए कैसे भारत की Counter-UAS प्रणाली तुर्की की तकनीक पर भारी पड़ी।


ऑपरेशन सिंदूर: तुर्की ड्रोन बनाम भारतीय रक्षा प्रणाली — एक सच्चाई का सामना

OperationSindoor Indefinite TurkishDrones MakeInIndiaDefense

उम्मीद है कि तुर्कग्रीकअर्मेनियाई, और अज़ेरी लोग यह रिपोर्ट ध्यान से पढ़ेंगे, क्योंकि इससे यह स्पष्ट हो चुका है कि तुर्की की ड्रोन तकनीक का "हाई-टेक" दावा पूरी तरह खोखला है।

तुर्की ड्रोन की विफलता: तीसरे दर्जे की तकनीक का पर्दाफाश

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की द्वारा निर्मित ड्रोन, जो खुद को "बेटरन ऑफ बैटलफील्ड" कहलाते हैं, भारतीय सैन्य संपत्तियों पर एक भी सटीक प्रहार करने में नाकाम रहे। ये तथाकथित उन्नत Turkish Drones न केवल लक्ष्य चूक गए, बल्कि भारत की Counter-UAS प्रणाली ने उन्हें आसमान से मच्छरों की तरह गिरा दिया

भारत की जवाबी कार्यवाही: भारतीय ड्रोन शक्ति का प्रदर्शन

भारत ने इस ऑपरेशन में अपने अत्याधुनिक और आत्मनिर्भर रक्षा प्रणालियों का प्रदर्शन किया, जिनमें शामिल थे:

  • Israeli Harop loitering munitions
  • Indian SkyStriker drones
  • देश में विकसित स्वार्म ड्रोन सिस्टम

इन सभी प्रणालियों ने संयुक्त रूप से पाकिस्तानी और चीनी एयर डिफेंस सिस्टम को ध्वस्त करते हुए उनके प्रमुख सैन्य ठिकानों पर सटीक और घातक प्रहार किए।

अर्मेनिया के लिए सबक: भारतीय टेक्नोलॉजी पर भरोसा करें

अर्मेनिया जैसे देशों के लिए यह एक महत्वपूर्ण सीख है। यदि आप तुर्की की आक्रामक ड्रोन नीति को लेकर चिंतित हैं, तो भारत की Make in India Defence नीति के तहत तैयार Indigenous Swarm Drones और Counter-UAS Systems का सहयोग लें।

क्या कहती है यह लड़ाई?

यह लड़ाई सिर्फ हथियारों की नहीं थी — यह थी विश्वसनीयता बनाम प्रचार की। जहाँ तुर्की की तकनीक मीडिया हाइप पर टिकी थी, भारत की प्रणाली मैदान-ए-जंग में परखी और सिद्ध हुई


निष्कर्ष:
ऑपरेशन सिंदूर ने दुनिया को दिखा दिया है कि ड्रोन वॉरफेयर का भविष्य भारत के हाथ में है। चाहे बात हो टारगेट एक्युरेसी की, स्वार्म तकनीक की या एयर डिफेंस को निष्क्रिय करने की — भारत की रक्षा प्रणाली अब केवल आत्मनिर्भर ही नहीं, बल्कि घातक रूप से सक्षम भी है।