भारत सरकार ने हाल ही में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और रणनीतिक पहल की शुरुआत की है, जिसे "ऑपरेशन सिन्दूर" नाम दिया गया है। इस ऑपरेशन के तहत भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने हितों की रक्षा करने और वैश्विक समर्थन हासिल करने के लिए कूटनीतिक गतिविधियों को तेज कर रहा है। इस अभियान का सबसे प्रमुख पहलू यह है कि भारत सरकार विभिन्न प्रमुख देशों, विशेषकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्य देशों, में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने जा रही है।
यह प्रतिनिधिमंडल भारत की लोकतांत्रिक विविधता और राजनीतिक एकता का प्रतीक है, जिसमें सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है। यह एकता दर्शाती है कि राष्ट्रीय हितों के मामलों में भारत की राजनीति दलगत सीमाओं से ऊपर उठकर कार्य करती है।
प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन शामिल हैं?
इस सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में देश के विभिन्न क्षेत्रों और राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिष्ठित नेता शामिल हैं:
- डॉ. शशि थरूर (कांग्रेस) – एक अनुभवी राजनयिक, लेखक और अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ।
- रवि शंकर प्रसाद (भारतीय जनता पार्टी) – पूर्व केंद्रीय मंत्री और कानून तथा सूचना प्रौद्योगिकी मामलों के जानकार।
- संजय कुमार झा (जनता दल यूनाइटेड) – बिहार सरकार में मंत्री और अनुभवी राजनेता।
- बैजयंत 'जयर' पांडा (भाजपा) – कूटनीति और विदेश नीति में सक्रिय भूमिका निभाने वाले सांसद।
- कनिमोझी करुणानिधि (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम – डीएमके) – तमिलनाडु की लोकप्रिय नेता और संस्कृति एवं अधिकारों की मुखर आवाज।
- सुप्रिया सुले (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी – एनसीपी) – सामाजिक मुद्दों पर मुखर और महिला सशक्तिकरण की समर्थक।
- श्रीकांत एकनाथ शिंदे (शिवसेना – शिंदे गुट) – युवा और उभरते हुए नेता।
इन नेताओं का चयन न केवल उनके राजनीतिक अनुभव के आधार पर किया गया है, बल्कि इसलिए भी कि वे विभिन्न क्षेत्रों और संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिससे भारत की विविधता और लोकतांत्रिक ताकत विश्व पटल पर प्रदर्शित हो सके।
ऑपरेशन सिन्दूर का उद्देश्य क्या है?
"ऑपरेशन सिन्दूर" का प्राथमिक उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष भारत की स्थिति को स्पष्ट करना और विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर समर्थन हासिल करना है। इसमें शामिल प्रमुख बिंदु हैं:
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वैश्विक मंचों पर भारत की छवि मजबूत करना:यह प्रतिनिधिमंडल उन देशों में जाएगा जो भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। विशेषकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी और अस्थायी सदस्य देशों के साथ संवाद स्थापित कर भारत की नीतियों का समर्थन प्राप्त करना प्रमुख लक्ष्य है।
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सुरक्षा और आतंकवाद के मुद्दों पर समर्थन:भारत लंबे समय से सीमा पार आतंकवाद का शिकार रहा है। यह अभियान अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत की सुरक्षा चिंताओं से अवगत कराने और सशक्त सहयोग सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य करेगा।
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मानवाधिकार और वैश्विक नैरेटिव का संतुलन:वैश्विक मंचों पर अक्सर भारत के खिलाफ एकतरफा और पक्षपाती रिपोर्टें या प्रस्ताव सामने आते हैं। यह प्रतिनिधिमंडल भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट करेगा और एक संतुलित राय कायम करने की कोशिश करेगा।
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रणनीतिक साझेदारियों का विस्तार:भारत विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और मज़बूत करना चाहता है। यह प्रतिनिधिमंडल आर्थिक, सामरिक और सांस्कृतिक सहयोग बढ़ाने के लिए विभिन्न स्तरों पर संवाद करेगा।
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लोकतांत्रिक एकता का प्रदर्शन:यह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल दिखाता है कि भारत की विदेश नीति केवल सरकार की नीति नहीं, बल्कि पूरे देश की सामूहिक सोच का प्रतिबिंब है।
क्यों है यह पहल महत्वपूर्ण?
भारत वर्तमान में एक महत्वपूर्ण वैश्विक मोड़ पर खड़ा है। वैश्विक राजनीति में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन की आक्रामक विदेश नीति, मध्य पूर्व की अस्थिरता, और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे अंतरराष्ट्रीय संबंधों की दिशा तय कर रहे हैं।
इस परिप्रेक्ष्य में भारत को अपनी कूटनीतिक स्थिति को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। भारत न केवल एक उभरती हुई आर्थिक शक्ति है, बल्कि वैश्विक दक्षिण की आवाज भी बन चुका है। ऑपरेशन सिन्दूर इसी दिशा में उठाया गया एक ठोस कदम है।
जनता की भागीदारी और पारदर्शिता
ऑपरेशन सिन्दूर को पारदर्शी और समावेशी बनाने के लिए सरकार ने विभिन्न विचारधाराओं के नेताओं को शामिल किया है। इससे संदेश जाता है कि भारत की विदेश नीति किसी एक पार्टी की नहीं, बल्कि संपूर्ण लोकतंत्र की नीति है। इसके अलावा, इस प्रतिनिधिमंडल के संवाद और चर्चाओं को सार्वजनिक किया जाएगा जिससे नागरिक भी इसकी प्रगति से अवगत हो सकें।
भारत की विदेश नीति का नया आयाम
पिछले कुछ वर्षों में भारत की विदेश नीति में बड़ा परिवर्तन देखा गया है। अब भारत न केवल प्रतिक्रिया देता है, बल्कि सक्रिय भूमिका निभाता है। "नेबरहुड फर्स्ट", "एक्ट ईस्ट", "इंडो-पैसिफिक रणनीति", और अब "ऑपरेशन सिन्दूर" जैसे पहल इसकी मिसाल हैं। यह पहल बताती है कि भारत अब कूटनीति में पारंपरिक रास्तों से आगे निकलकर, रचनात्मक और समावेशी दृष्टिकोण अपनाने लगा है।
निष्कर्ष
ऑपरेशन सिन्दूर भारत की कूटनीति में एक ऐतिहासिक कदम के रूप में देखा जा रहा है। यह अभियान केवल विदेशों में भारत का पक्ष रखने का प्रयास नहीं है, बल्कि यह देश की लोकतांत्रिक एकता, विविधता और सामूहिक सोच का वैश्विक प्रदर्शन भी है।
जब भारत के नेता मिलकर, राजनीतिक मतभेदों को भुलाकर, एक स्वर में दुनिया के सामने भारत की बात रखते हैं, तो यह विश्व को यह संदेश देता है कि भारत एक मजबूत, संगठित और शांतिप्रिय लोकतंत्र है, जो वैश्विक सहयोग और न्याय के लिए प्रतिबद्ध है।
इस अभियान की सफलता भारत की वैश्विक स्थिति को और सुदृढ़ कर सकती है और आने वाले वर्षों में भारत को एक निर्णायक वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर सकती है।