प्रयागराज महाकुंभ के सेक्टर 19 में सिलेंडर ब्लास्ट के कारण भयानक आग लग गई, जिसमें 50 से अधिक टेंट जलकर खाक हो गए। गीता प्रेस का कैंप भी आग की चपेट में आ गया। 12 फायर ब्रिगेड और एनडीआरएफ की टीमों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आग पर नियंत्रण पाया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थिति का जायजा लिया। हालांकि कोई जनहानि नहीं हुई, पर आग से मची अफरा-तफरी ने सभी को झकझोर दिया।
सिलेंडर ब्लास्ट से हुई आग की शुरुआत
प्रयागराज महाकुंभ के सेक्टर 19 में शाम साढ़े चार बजे खाना बनाते समय सिलेंडर ब्लास्ट हुआ, जिससे आग की शुरुआत हुई। इस ब्लास्ट के बाद कई अन्य सिलेंडरों में भी विस्फोट हो गए, जिससे आग ने विकराल रूप ले लिया। आग की तेज लपटें और धुएं के गुबार ने पूरे मेला क्षेत्र को अफरा-तफरी में डाल दिया।
अधिकारियों के अनुसार, खाना बनाने के दौरान सुरक्षा नियमों की अनदेखी आग का मुख्य कारण हो सकता है। फायर ब्रिगेड की 12 गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और एक घंटे के भीतर आग पर काबू पा लिया। हालांकि, इस घटना ने सुरक्षा व्यवस्थाओं पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
गीता प्रेस कैंप और 50 टेंट जलकर खाक
आग लगने से सेक्टर 19 में स्थित गीता प्रेस गोरखपुर का शिविर भी चपेट में आ गया। इस हादसे में 50 से अधिक टेंट जलकर खाक हो गए। धर्म संघ का शिविर भी आग से प्रभावित हुआ।
आग ने सेक्टर 19 से 20 तक फैलते हुए मेले में स्थापित कई महत्वपूर्ण शिविरों को नुकसान पहुंचाया। इस घटना में एक साधु के एक लाख रुपये भी जल गए। कई स्थानीय लोग और साधु-संत अपनी कीमती सामग्री खो बैठे। राहत की बात यह रही कि किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई।
मुख्यमंत्री योगी और प्रधानमंत्री मोदी ने लिया संज्ञान
घटना के तुरंत बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मुख्यमंत्री से फोन पर बात कर घटना की पूरी जानकारी ली।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को सूचित किया कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों ने समय रहते आग पर नियंत्रण पा लिया और किसी भी प्रकार की जनहानि नहीं हुई। सरकार ने स्थिति पर पूरी निगरानी रखते हुए फायर ब्रिगेड और अन्य राहत टीमों को अलर्ट कर दिया है।
फायर ऑपरेशन के लिए एडवांस तकनीक का इस्तेमाल
महाकुंभ मेला क्षेत्र को फायर फ्री बनाने के लिए कई एडवांस फीचर्स वाले उपकरण लगाए गए हैं। यहां आर्टिकुलेटिंग वॉटर टावर (AWT) जैसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया, जो 35 मीटर की ऊंचाई तक आग बुझाने में सक्षम है।
इस तकनीक में वीडियो-थर्मल इमेजिंग सिस्टम भी शामिल है, जो ऊंचे और बहुमंजिला टेंट की आग को तेजी से बुझाने में मदद करता है। 350 फायर ब्रिगेड, 2000 प्रशिक्षित कर्मचारी, और 50 अग्निशमन केंद्र मेला क्षेत्र में तैनात किए गए हैं।
सेक्टर 19 से 20 तक फैल गई आग
आग लगने के बाद सेक्टर 19 से 20 तक फैल गई, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई। रेलवे ब्रिज के नीचे से भी आग की लपटें उठती देखी गईं, जबकि उसी समय एक यात्री ट्रेन ब्रिज से गुजर रही थी।
आग की वजह से पूरे मेला क्षेत्र में बिजली काट दी गई। डिप्टी कमांडेंट ने बताया कि फाइनल जांच चल रही है और अभी तक किसी के हताहत होने की जानकारी नहीं मिली है। घटना के दौरान लगातार पटाखों जैसी आवाजें सुनी गईं, जिससे लोग डर और घबराहट में मेला क्षेत्र छोड़ने लगे।
आग बुझाने में जुटीं 12 से अधिक फायर ब्रिगेड
आग पर काबू पाने के लिए एनडीआरएफ और फायर ब्रिगेड की 12 गाड़ियां तैनात की गईं। मेला अधिकारी विजय किरण आनंद और एसएसपी राजेश द्विवेदी ने घटनास्थल पर पहुंचकर राहत कार्यों का नेतृत्व किया।
फायर ब्रिगेड की तेज कार्रवाई और एडवांस उपकरणों की मदद से एक घंटे के भीतर आग पर काबू पा लिया गया। एनडीआरएफ की चार टीमें भी राहत कार्य में सक्रिय रहीं। अधिकारियों ने बताया कि 20 सिलेंडरों के विस्फोट से आग इतनी तेजी से फैली।
सुरक्षा उपायों की समीक्षा की आवश्यकता
इस घटना ने महाकुंभ मेला क्षेत्र में सुरक्षा उपायों की खामियों को उजागर किया है। खाना बनाते समय सुरक्षा उपकरणों और नियमों की अनदेखी करना बड़ी दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है।
अखिलेश यादव ने इस घटना पर गंभीरता से संज्ञान लेने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की। सरकार को इस बात पर जोर देना चाहिए कि हर शिविर में पर्याप्त फायर प्रोटेक्शन उपकरण उपलब्ध हों।
आग ने लोगों को दी सीख
इस घटना ने मेला क्षेत्र में मौजूद लाखों श्रद्धालुओं को सतर्क रहने की सीख दी है। मेला प्रबंधन को भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे।
राहत की बात यह है कि आग पर समय रहते काबू पा लिया गया, जिससे किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई। यह घटना मेला क्षेत्र में सुरक्षा प्रबंधन के लिए एक अलार्म के रूप में देखी जा रही है।
धार्मिक महत्व और सुरक्षा का संगम
महाकुंभ का आयोजन धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं, जिससे सुरक्षा और प्रबंधन का दायरा और भी बढ़ जाता है।
ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए मेला प्रबंधन को अधिक सतर्क रहना होगा। सुरक्षा प्रोटोकॉल को सख्ती से लागू करना और शिविरों में फायर प्रोटेक्शन उपकरणों की नियमित जांच करना आवश्यक है।
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