वक्फ बोर्ड द्वारा ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों पर दावा करने की प्रक्रिया ने लोगों में भारी नाराजगी पैदा की है। हाल ही में, वक्फ बोर्ड ने अशोक स्तंभ, कुतुब मीनार और हुमायूं का मकबरा जैसे ऐतिहासिक धरोहरों पर अपना अधिकार जताया है। यह दावा न केवल मंदिर और सरकारी संपत्तियों तक सीमित है, बल्कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अंतर्गत आने वाले 156 स्मारकों पर भी किया गया है।
वक्फ बोर्ड का दावा, ऐतिहासिक धरोहरों पर कब्जे की कोशिश : वक्फ बोर्ड द्वारा किए गए दावों में से एक प्रमुख दावे का केंद्र कुतुब मीनार परिसर में स्थित अशोक स्तंभ है। यह स्तंभ इस्लाम के भारत आगमन से पहले की भारतीय सभ्यता का प्रतीक है। वक्फ बोर्ड ने इसे अपनी संपत्ति घोषित करने की कोशिश की है। इसके अलावा, हुमायूं का मकबरा और कुतुब मीनार जैसे विश्व धरोहर स्थलों पर भी दावा किया गया है। इन दावों के चलते देशभर में व्यापक असंतोष और गुस्सा फैल रहा है।
सरकारी और सार्वजनिक संपत्तियों पर भी दावा : दिल्ली में वक्फ बोर्ड के दावों की सूची केवल स्मारकों तक सीमित नहीं है। सरकारी संपत्तियों जैसे मंदिर, शमशान घाट, और यहां तक कि डीटीसी के बस अड्डों पर भी वक्फ बोर्ड ने दावा किया है। यह स्थिति बेहद गंभीर है, क्योंकि वक्फ बोर्ड की नजर दिल्ली की उन सभी चीजों पर है जो प्राचीन और सांस्कृतिक धरोहर हैं। कई लोगों का मानना है कि यह दावे धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता के खिलाफ हैं और देश की सांस्कृतिक धरोहर को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।
156 स्मारकों पर वक्फ बोर्ड का दावा: जनता की चिंता : ASI के अंतर्गत आने वाले 156 स्मारकों पर वक्फ बोर्ड के दावे ने एक नई बहस को जन्म दिया है। इन स्मारकों में कुतुब मीनार परिसर का अशोक स्तंभ, हुमायूं का मकबरा, और अन्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल शामिल हैं। स्थानीय निवासियों और विभिन्न संगठनों ने वक्फ बोर्ड के इन दावों पर कड़ा विरोध जताया है, क्योंकि ये दावे न केवल ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिए खतरनाक हैं, बल्कि वे धार्मिक संतुलन को भी बिगाड़ सकते हैं।
आगे की कार्रवाई और जनता की प्रतिक्रिया : वक्फ बोर्ड के इन दावों के खिलाफ अब जनता और विभिन्न संगठन मिलकर आवाज उठा रहे हैं। सरकार और ASI से मांग की जा रही है कि इन दावों को खारिज किया जाए और देश की सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा की जाए। जनता के बीच इस मुद्दे पर चर्चा हो रही है कि कैसे धार्मिक स्थलों पर वक्फ बोर्ड द्वारा कब्जे की कोशिश की जा रही है, और इसका ऐतिहासिक और सामाजिक प्रभाव क्या हो सकता है। इस स्थिति से निपटने के लिए एक सख्त और स्पष्ट नीति की आवश्यकता है।