असम के 12 जिले अब हिंदू अल्पसंख्यक क्षेत्रों में तब्दील हो चुके हैं, जो बांग्लादेश में हो रही घटनाओं के संदर्भ में एक गंभीर चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। यह बदलाव न केवल असम, बल्कि पूरे देश के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। असम में हिंदू समाज धीरे-धीरे अल्पसंख्यक हो रहा है, जो इस बात का संकेत है कि राज्य की जनसंख्या का संतुलन तेजी से बदल रहा है।
असम में भाजपा सरकार के कारण फिलहाल हिंदू समाज सुरक्षित है, लेकिन यह स्थिति कब तक बनी रहेगी, यह कहना मुश्किल है। बढ़ती जनसंख्या और बदलती सामाजिक संरचना के चलते हिंदू समाज को आने वाले समय में और भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। बांग्लादेश की घटनाएं हमें यह याद दिलाती हैं कि जब किसी देश में जनसंख्या का संतुलन बिगड़ता है, तो वहां के मूल निवासियों के लिए परिस्थितियां कितनी कठिन हो सकती हैं।
पश्चिम बंगाल और झारखंड जैसे राज्यों में भी जल्द ही ऐसी स्थिति बनने की आशंका जताई जा रही है। यदि यही प्रवृत्ति जारी रहती है, तो इन राज्यों में भी हिंदू समाज को सुरक्षा और अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है। यह समय है जब हमें सतर्क और संगठित होने की आवश्यकता है।
इस परिस्थिति को सुधारने के लिए सरकार के साथ-साथ समाज को भी मिलकर प्रयास करना होगा। जनसंख्या नियंत्रण, शिक्षा और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देकर इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। हमें यह समझना होगा कि केवल सरकार के भरोसे रहने से बात नहीं बनेगी; समाज को भी अपनी भूमिका निभानी होगी।
बांग्लादेश की घटनाएं हमें इस बात की चेतावनी देती हैं कि यदि समय रहते हम सतर्क नहीं हुए, तो हमें भी असम, पश्चिम बंगाल और झारखंड जैसे राज्यों में ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।