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72 कुंवारी हूरों के नाम पर आतंकियों का कुकृत्य :

यह लेख सीरिया में पकड़े गए आईएस आतंकियों की मनोवैज्ञानिक स्थिति और उनके ब्रेनवाश की सच्चाई को उजागर करता है। सीरिया की सेना ने कुछ आईएस आतंकियों को पकड़ा जो महिलाओं के अंतवस्त्र पहनकर लड़ रहे थे। पूछताछ में उन्होंने बताया कि उनके मौलवियों ने उन्हें जन्नत में 72 कुंवारी हुरें मिलने का वादा किया था, और वे उनके लिए अंतवस्त्र लेकर जाने के लिए कहा था। इस लेख में हम इन आतंकियों के ब्रेनवाश की गंदी सच्चाई, मौलवियों की मनोवैज्ञानिक रणनीति, आतंकियों की मानसिक स्थिति, और इसके प्रभाव को विस्तार से जानेंगे।

आतंकियों का ब्रेनवाश और उनकी मानसिक स्थिति :
सीरिया में पकड़े गए आईएस आतंकियों की पूछताछ में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। वे महिलाओ के अंतवस्त्र पहनकर लड़ रहे थे। पूछताछ में उन्होंने बताया कि मौलवी ने उन्हें जन्नत में 72 कुंवारी हुरें मिलने का वादा किया था। इन हुरों को खुश करने के लिए वे अंतवस्त्र अपने साथ लेकर जा रहे थे। मौलवियों ने उनका ऐसा ब्रेनवाश किया था कि उन्हें अपने कुकृत्यों में कोई बुराई नजर नहीं आती थी। वे इसे एक धार्मिक कर्तव्य मानते थे।

मौलवियों की मनोवैज्ञानिक रणनीति :
आईएस आतंकियों को ब्रेनवाश करने में मौलवियों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने धर्म और जन्नत का हवाला देकर आतंकियों को अपने अनुसार ढाला। मौलवियों ने आतंकियों को बताया कि जन्नत में उन्हें 72 कुंवारी हुरें मिलेंगी, और वे अंतवस्त्र साथ लेकर जाएं ताकि हुरें उनसे प्रभावित हों। यह मनोवैज्ञानिक रणनीति आतंकियों को मानसिक रूप से कमजोर और वश में करने का एक तरीका था। मौलवियों ने उनके दिमाग में यह बात बिठा दी थी कि उनके द्वारा किए गए सभी कृत्य धार्मिक दृष्टिकोण से सही हैं।

आतंकियों की मानसिक स्थिति :
इन आतंकियों की मानसिक स्थिति अत्यंत विकृत हो चुकी थी। एक आतंकी पैडेड ब्रा पहने हुए था और पूछताछ में उसने बताया कि यदि उसे छोटे वक्ष वाली हुर मिली तो वह उसे पैडेड ब्रा पहनाएगा ताकि वह अधिक आकर्षक लगे। आतंकियों की मानसिकता यह बताती है कि कैसे उनके दिमाग को मोड़ा गया और उन्हें अपने कार्यों की विकृति का अहसास नहीं था। उनकी मानसिक स्थिति मौलवियों द्वारा किए गए ब्रेनवाश का परिणाम थी, जो उन्हें मानवता के प्रति क्रूर और असंवेदनशील बना रही थी।

ब्रेनवाश का सामाजिक और मानसिक प्रभाव :
आईएस आतंकियों के ब्रेनवाश का प्रभाव केवल उनकी मानसिक स्थिति तक सीमित नहीं था, बल्कि इसका सामाजिक प्रभाव भी था। उनके परिवार, समुदाय और समाज पर इसका गंभीर असर पड़ा। आतंकियों के इस प्रकार की मानसिकता से समाज में भय और असुरक्षा का माहौल बना। इसके अलावा, उनकी विकृत मानसिक स्थिति ने यह भी दिखाया कि कैसे धर्म का गलत उपयोग करके लोगों को भटकाया जा सकता है। यह समाज के लिए एक बड़ी चुनौती है कि वे ऐसे लोगों को सही दिशा में कैसे लाएं।

निष्कर्ष :
सीरिया में पकड़े गए आईएस आतंकियों की कहानी उनके ब्रेनवाश की गंदी सच्चाई को उजागर करती है। मौलवियों द्वारा किए गए मानसिक ब्रेनवाश ने उन्हें आतंकवादी बना दिया। आतंकियों की मानसिक स्थिति विकृत हो चुकी थी और वे अपने कृत्यों को धार्मिक कर्तव्य मानते थे। इस लेख से यह स्पष्ट होता है कि आतंकवाद का जड़ कितना गहरा है और इसे समाप्त करने के लिए मानसिक और सामाजिक स्तर पर बहुत काम करना होगा। समाज को इस दिशा में जागरूक और सतर्क रहने की आवश्यकता है।