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YouTube पर राष्ट्रवादी कंटेंट्स का सेंसर: केंद्र सरकार की जांच शुरू :

YouTube पर आरोप: राष्ट्रवादी कंटेंट्स को सेंसर करना : भारत में YouTube पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि वह राष्ट्रवादी कंटेंट्स को सेंसर कर रहा है। कहा जा रहा है कि जिन वीडियोज़ में कांग्रेस की आलोचना की जाती है, उन्हें डिमोनटाइज कर दिया जाता है। इससे कंटेंट क्रिएटर्स को पैसे नहीं मिलते। इस मामले को लेकर कई यूट्यूबर्स ने केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट किया था। आशंका है कि YouTube India के कुछ कर्मचारी इस गड़बड़ी में शामिल हो सकते हैं।

केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों की सक्रियता :
केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों ने इस मामले में 17 YouTube कर्मचारियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। बताया गया है कि इन कर्मचारियों की बातचीत भी सरकार को सौंपी गई है। आरोप है कि इनकी साजिश न्यूट्रल कवरेज को रोकने और हैंडलों को शैडो बैन करने की थी। शैडो बैन का मतलब है कि अकाउंट के कंटेंट की रीच को सीमित करना, जिससे वह अपने ही सब्सक्राइबर्स तक नहीं पहुँच पाता।

प्रमुख आरोप: प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ प्रपंच :
आरोप है कि ये कर्मचारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रपंच को हवा दे रहे थे। चुनावों को विदेशी संस्था द्वारा प्रभावित करने की कोशिश एक आपराधिक कृत्य है। केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों ने यह भी बताया कि इन कर्मचारियों में 12 पुरुष और 5 महिलाएं हैं, जो मुंबई, केरल और पश्चिम बंगाल से ताल्लुक रखते हैं। इन पर YouTube के एल्गोरिदम के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप है।

93 पत्रकारों और 42 चैनलों पर शैडो बैन :
इन कर्मचारियों ने 93 पत्रकारों और 42 चैनलों के खिलाफ शैडो बैन लगाया, जो चुनाव में न्यूट्रल थे और कांग्रेस का पक्ष नहीं ले रहे थे। ‘The New Indian’ ने दिल्ली उच्च न्यायालय में भी इस संबंध में सबूत सौंपे हैं। कंटेंट क्रिएटर्स ने मांग की है कि जिन अधिकारियों ने भारतीय लोकतंत्र के सबसे बड़े महापर्व के दौरान गड़बड़ी की है, उन्हें सजा दी जाए।

हमारा निष्कर्ष :
इस पूरे मामले में केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों ने जांच शुरू कर दी है और यूट्यूब के 17 कर्मचारियों पर आरोप लगाए हैं। यह मामला बहुत गंभीर है और भारतीय लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

खबर का सारांश :
भारत में YouTube पर राष्ट्रवादी कंटेंट्स को सेंसर करने और कांग्रेस की आलोचना करने वाले वीडियोज़ को डिमोनटाइज करने के आरोप लगे हैं। केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों ने 17 कर्मचारियों के खिलाफ जांच शुरू की है, जिन पर चुनावों को प्रभावित करने और न्यूट्रल चैनलों को शैडो बैन करने का आरोप है। यह मामला भारतीय लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।