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रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद: माँ काली के अद्वितीय साधक

एक दुर्लभ तस्वीर की ऐतिहासिकता : 16 अगस्त अठारह सौ छेआसी की ये महत्वपूर्ण और दुर्लभ तस्वीर, जब माँ काली के महान भक्त और साधक, अपनी सांसारिक यात्रा समाप्त कर माँ के श्री चरणों में विलीन हो गए। इस दुर्लभ तस्वीर में हम स्वामी विवेकानंद को भी देख सकते हैं, जो रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख शिष्य थे और जिन्होंने बाद में हिंदुत्व को पूरे विश्व में प्रचारित किया। आइए, हम सब मिलकर इनके विचारों को फैलाएं और सनातन धर्म की महानता को पुनः स्थापित करें। 

रामकृष्ण परमहंस: माँ काली के प्रिय साधक :
रामकृष्ण परमहंस का जीवन साधना और भक्ति का अनुपम उदाहरण है। वह माँ काली के अद्वितीय भक्त थे और उनके साथ साक्षात बातचीत किया करते थे। उनका जीवन और उनकी शिक्षाएँ आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। रामकृष्ण परमहंस ने अपने शिष्यों को आध्यात्मिक मार्ग दिखाया और उन्हें सच्चे भक्ति और ध्यान की ओर प्रेरित किया।

स्वामी विवेकानंद: हिंदुत्व के महान प्रचारक :
स्वामी विवेकानंद, जिनका जन्म नाम नरेंद्रनाथ था, रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख शिष्य थे। उन्होंने अपने गुरु की शिक्षाओं को न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में फैलाया। स्वामी विवेकानंद ने 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म महासभा में हिंदुत्व का शंखनाद किया और भारत की आध्यात्मिक धरोहर को विश्व के समक्ष प्रस्तुत किया। उनकी ओजस्वी वाणी और विचारों ने विश्वभर के लोगों को प्रभावित किया।

सनातन धर्म का प्रचार और प्रासंगिकता :
स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के आशीर्वाद से सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों को सरल और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। उन्होंने वेदांत और योग के सिद्धांतों को पश्चिमी समाज में लोकप्रिय बनाया और लोगों को आत्म-साक्षात्कार की दिशा में प्रेरित किया। उनका मानना था कि हर व्यक्ति में दिव्यता विद्यमान है और उसे पहचानना ही मानव जीवन का उद्देश्य है।

हमारी वर्तमान जिम्मेदारी :
आज, जबकि हमारे पास रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुषों की विरासत है, हमें उनके विचारों और सिद्धांतों को न केवल जानना बल्कि जीवन में अपनाना चाहिए। यह दुख की बात है कि हमारे समाज में, जहां 99% लोग सनातन धर्म का पालन करते हैं, ऐसी महत्वपूर्ण पोस्टों को सराहना नहीं मिलती। हमें अपनी धरोहर पर गर्व होना चाहिए और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना चाहिए।

निष्कर्ष :
रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद के जीवन और उनकी शिक्षाएँ हमें भक्ति, सेवा, और आत्म-साक्षात्कार का मार्ग दिखाती हैं। इन महापुरुषों की शिक्षाओं को आत्मसात करके हम अपने जीवन को अधिक सार्थक और प्रेरणादायक बना सकते हैं। आइए, हम सब मिलकर इनके विचारों को फैलाएं और सनातन धर्म की महानता को पुनः स्थापित करें।