राहुल एक बार फिर मान चुके हैं कि अबकी बार राहुल सरकार। कल कन्नौज की सभा में तो उन्होंने लिखकर भी दे दिया कि इस बार मोदी प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे और बीजेपी सत्ता में नहीं आएगी। मतदान के तीन चरण बीत जाने के बाद यूं तो पूरा गठबंधन उत्साहित है लेकिन राहुल गांधी इतने उत्साहित हैं कि उन्होंने तो लिखकर भी दे दिया।
हालांकि अपनी विशिष्ठ भाषा में उन्होंने यही कहा कि "मोदी पीएम नहीं बनेगा"। प्रधानमंत्री के लिए राहुल तू तडाक की भाषा में ही बात करते हैं, सब जानते हैं। जाहिर है घर में सोनिया और प्रियंका भी मोदी के लिए इसी भाषा में बोलते होंगे। और फिर अपने राहुल भैया तो कईं कदम आगे हैं।
मोदी कह रहे थे 400 पार, राहुल कह रहे हैं सफ्फम सफ्फा। ठीक भी तो है। सारी पार्टियां इतनी भाग्यशाली कहां होती हैं कि उन्हें 65 साल देश पर राज करने का मौका मिले। मोदी को तो सेवादार के रूप में आए अभी दस साल ही हुए हैं। अटल जी भी पांच साल ही कुर्सी पर बैठ पाए थे। तो जैसा कि राहुल कह रहे है, गया, मोदी तो गया, शायद वही ठीक हो।
वैसे भी इंडी गठबंधन के साथ आज जितनी भी पार्टियां शामिल हैं, उन सभी का जन्म कांग्रेस और कांग्रेसवाद से लड़ते हुए ही तो हुआ है। तब बीजेपी भी इन्हीं सब दलों के साथ शामिल थी। वक्त पलटा, बीजेपी सत्ता में आ गई और कांग्रेसवाद के खिलाफ बने तमाम दल कांग्रेस और राहुल के साथ जा खड़े हुए। तो राहुल भैया! करो सत्ता की तैयारी, सिंहासन बेहद करीब है?
वैसे बात 2014 की करें तब तो कांग्रेस को लगता ही नहीं था कि मोदी कभी सत्ता भी संभाल सकते हैं। 1977 में इंदिरा जी को भी यही लगता था कि तमाम विपक्ष का विलय कर बनी जनता पार्टी कभी सत्ता में आ पाएगी। लेकिन 2014 में 282 सीटें लेकर बीजेपी सत्ता में आ गई। 2019 में तो राहुल पूरी तरह आश्वस्त थे कि मोदी गए और वे आए। उन्हें इतना विश्वास था जीत का, कि उन्होंने परिणाम आने से पहले ही अपनी कैबिनेट भी बना ली थी।
पर अबकी बार यह क्या हुआ। इस बार तो राहुल ही क्या, पूरे गठबंधन ने विजय का जश्न मनाना शुरू कर दिया है। इसके पीछे एक कारण मुस्लिमों का जमकर मतदान है जो दिखाई पड़ रहा है। दूसरी ओर शहरी मतदाताओं की घोर उदासीनता, हिंदुओं का घोर आलसीपन। हिन्दू पांच साल मोदी मोदी करते हैं, भक्त बने रहते हैं, पर वोट देने नहीं जाते। तो राहुल और गठबंधन की खुशी अनायास नहीं। वे जानते हैं कि लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व उन्हें उठाना है। इस सब के चलते अब तो अंतरिम जमानत लेकर केजरीवाल भी मैदान में आ गए हैं।
चलिए, खुशी मनाइए। पर एक बात याद रखिए। सामने मोदी हैं और एक बहुत मजबूत संगठन है। उनके पास जन सैलाब है, आरएसएस की समर्पित टीम है। आशावान रहिए परंतु बहुत ज्यादा खुशियां मत मनाइए। चार चरण बाकी हैं और तीन चरणों में आपको जिताने के लिए कोई जनसैलाब नहीं उमड़ा। मोदी सरकार के साथ उनके बड़े बड़े काम हैं, विकास है और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। माना कि आप उन कामों को नजरंदाज करते हैं। पर आपके पास क्या है? जाति जाति, मुफ्त और आरक्षण के अलावा आपके पास जलन और नफरत की आग भी है। जरूरी नहीं यह औरों को जलाए। घृणा की यह आग आपका दामन भी फूंक सकती है? क्यों! सही कहा न?
✍️ : कौशल सिखौला