जैसा कि आप सबको पता है लोकसभा के चुनाव शुरू होने वाले हैं और भारतीय वोटर को यह पता होना चाहिए कि वह अपना कीमती वोट डेवलपमेंट के आधार पर दें ना की विपक्ष द्वारा बरगलाए गए झूठे मुद्दों के आधार पर। आज हमारे देश में रेलवे एक ऐसा साधन है जिससे हर रोज तकरीबन 2 करोड लोग सफर करते हैं, यानी की रेलवे आम जनमानुष के लिए एक मुख्य आधार है। लेकिन क्या आपको पता है कि 2014 से पहले रेलवे की स्थिति भारत में क्या थी और नरेंद्र मोदी के 10 वर्षों के कार्यकाल में रेलवे की स्थिति क्या है।
किसकी सरकार में कितनी रेल लाइन बिछाई गई :
मोदी सरकार से पहले UPA के 10 वर्षों के शासनकाल में देश में 14,985 रेल किलोमीटर(RKM) रेल लाइन बिछाई गईं थी। मोदी सरकार ने 2023 के अंत तक देश में 25,871 किलोमीटर से अधिक रेल लाइन बिछा दी थीं। एक आँकड़े के अनुसार, मोदी सरकार ने 2022-23 में 14 किलोमीटर/प्रतिदिन रेलवे लाइन बिछाई गई, 2023-24 में इसे 16 किलोमीटर/प्रतिदिन करने का लक्ष्य है।
रेलवे की दोहरीकरण कितना हुआ :
रेलवे पटरियों पर दबाव कम करने और दुर्घटनाओं को घटाने के लिए आवश्यक रेलवे के दोहरीकरण को भी रफ्तार मिली। मोदी सरकार के अंतर्गत देश के 14 हजार किलोमीटर से अधिक नेटवर्क को दोहरीकृत किया गया।
अरुणाचल और मेघालय में पहली बार पहुंची रेल:
5,750 किलोमीटर से अधिक छोटी लाइन को बड़ी लाइन में बदला गया। मोदी सरकार में अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में पहली बार रेल पहुँची। नागालैंड को 100 वर्षों के बाद दूसरा स्टेशन मिला।
रेलवे के बिजलीकरण का युद्धस्तर पर बदलाव :
मोदी सरकार ने रेलवे के बिजलीकरण को युद्धस्तर पर किया है। इस प्रयास के चलते अब देश का 94% रेलवे रूट बिजलीकृत हो गया है। देश के 14 राज्यों में तो 100% रेलवे रूट बिजलीकृत किया जा चुका है। 21,801 किलोमीटर रेलवे रूट बिजलीकृत था। वर्तमान में यह सँख्या 61,813 किलोमीटर है। यानी अब पहले की सरकारों के मुकाबले तीन गुना अधिक रूट बिजलीकृत है। सबसे बड़ा फायदा डीजल की खपत में हुआ है, जिसके आयात के लिए भारत दूसरे देशों पर निर्भर है। रेलवे द्वारा दिए गए एक आँकड़े के अनुसार, 2014-15 में देश में रेलवे द्वारा 285 करोड़ लीटर डीजल खर्च होता था। यह 2020-21 में घट कर 95 करोड़ लीटर रह गया। यानी यह एक तिहाई से हो गया। इससे विदेशों से तेल खरीदने के लिए जाने वाली विदेशी मुद्रा में भी कमी आई और साथ ही रेलवे के कारण होने वाले प्रदूषण पर भी लगाम लगी।
नई ट्रेनों ने रेलवे को दी नई उड़ान:
मोदी सरकार के दौरान देश को गतिमान एक्स्प्रेक्स और तेजस एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें भी मिली हैं। मोदी सरकार में शुरू हुई वन्दे भारत मात्र 4-5 वर्षों के भीतर ही 51 की संख्या में पहुँच गई हैं। इसकी तुलना ऐसी ही पूर्ववर्ती ट्रेन शताब्दी एक्सप्रेस से जाए तो यह 1988 में शुरू होकर भी 2017 तक मात्र 21 सेवाओं तक ही पहुँची थी। यानी जहाँ 30 वर्षों में मात्र 34 शताब्दी चलाई गईं, वहीं देश में मात्र 5 वर्षों में 51 वन्दे भारत चल गईं। इन 51 में से भी 49 वन्दे भारत दो वर्ष के भीतर चलाई गई हैं। मोदी सरकार जल्द ही स्लीपर वन्दे भारत भी लाने वाली है।
रेलवे दुर्घटनाओं में आई गिरावट :
सुरक्षा की दृष्टि से देखा जाए तो मोदी सरकार में रेलवे दुर्घटनाओं की सँख्या में भी कमी आई है। 2004 से 2014 के दौरान देश में प्रति वर्ष औसतन 171 रेल दुर्घटनाएं हुई थी। मोदी सरकार के अंतर्गत 2014 से लेकर 2023 में यह सँख्या घट कर 70 दुर्घटना प्रति वर्ष हो गई।
रेलवे बजट 8 गुना बढ़ा मोदी सरकार में :
2014 में जहाँ रेलवे को लगभग ₹29,000 करोड़ का बजट दिया गया था। 2024-25 में यह बजट लगभग 8 गुना बढ़ कर ₹2.55 लाख करोड़ हो चुका है।
बुलेट ट्रेन की भी होगी जल्द शुरुवात :
हाल ही में पीएम मोदी देश के 550 से अधिक स्टेशन को अमृत भारत स्टेशन के रूप में विकसित करने को लेकर हरी झंडी दिखाई दी थी। इन सबके अलावा मोदी सरकार अहमदाबाद से मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन भी चलाने वाली है। इसका काफी काम पूरा हो गया है।