वसंत को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। यह साल का वह वक़्त है जब प्रकृति की सुंदरता का कोई जवाब नहीं होता। माघ के महीने की शुक्ल पंचमी को सारे पुराने पत्ते झड़ जाते हैऔर नए फूल आने लगते हैं। प्रकृति के इस अनोखे दृश्य को देख हर व्यक्ति का मन मोह जाता है। मौसम के इस सुहावने मौके को उत्स्व की तरह मनाया जाता है। वसंत पंचमी को श्री पंचमी तथा ज्ञान पंचमी भी कहते हैं।
इस दिन माँ सरस्वती की पूजा का महत्व माना गया है, आइए जानते हैं इसके कथा:
सृष्टि की रचना का कार्य जब भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी को दिया तब वे इससे खुश नहीं थे। उदासी से भरा वातावरण देख वे विष्णु जी के पास गए और सुझाव माँगा। फिर विष्णु जी के कहे अनुसार उन्होने अपने कमंडल से जल लेकर धरती पर छिड़का। तब एक चतुर्भुज सुंदरी हुई, जिसने जीवों को वाणी प्रदान की। यह देवी विद्या, बुद्धि और संगीत की देवी थीं, तो इन्हे सरस्वती देवी कहा गया।
इसलिए इस दिन सरस्वती देवी का जन्म बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है और इनकी पूजा भी की जाती है। इस दिन लोग अपने घरों में सरस्वती यंत्र स्थापित करते हैं। इस दिन 108 बार सरस्वती मंत्र के जाप करने से अनेक फायदे होते हैं। माना तो यह भी जाता है कि प्राचीन काल में इस दिन बच्चों के जीभ पर केसर रख कर निचे दिए गए मंत्र का उच्चारण कराया जाता था ताकि बच्चा बुद्धिमान बन सके।
मंत्र: ‘ऊँ ऐं महासरस्वत्यै नमः’
वसंत ऋतु के बारे में ऋग्वेद में भी उल्लेख मिलता है। प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु। इसका अर्थ है सरस्वती परम् चेतना हैं। वे हमारी बुद्धि, समृद्धि तथा मनोभावों की सरंक्षा करती हैं। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में वसंत को अपनी विभूति माना है और कहा है ‘ऋतूनां कुसुमाकरः’।
रामायण में वसंत ऋतु का संदर्भ:
रामायण में जब रावण सीता माता का हरण कर लंका ले जाता है तब श्री राम और लक्ष्मण माता सीता को ढूंढ़ने में लग जाते हैं। उनकी खोज के दौरान वे दंडकारण्य नामक स्थान पर जा पहुंचते हैं, यहीं शबरी से उनका मिलन होता है। शबरी प्रभु राम के आने पर अत्यंत प्रसन्नता से भर जाती है और उन्हें मीठे बेर चख कर देती है। कहा जाता है कि श्री राम वसंत पंचमी के दिन ही शबरी से मिले थे। वहां आज तक भी लोग एक शिला की पूजा करते हैं। माना जाता है कि यह वही जगह है जहाँ श्रीराम बैठे थे।
वसंत के दिन बहुत सी ऐतिहासिक घटनाएं घटीं, चलिए जानते हैं कुछ घटनाओं के बारे में:-
वसंत पंचमी के दिन ही पृथ्वीराज चौहान ने आत्मबलिदान किया था और सदा के लिए अमर हो गए। कहानी यह है कि मोहम्मद गौरी नाम के व्यक्ति को 16 बार हराने के बाद भी उन्होंने उसे जीवित छोड़ दिया। 17वीं बार वह फिर से युद्ध लड़ने आ गया परन्तु इस बार वह पृथ्वीराज चौहान को बंदी बना कर अफ़ग़ानिस्तान ले गया। वहां गौरी ने मृत्युदंड देने से पहले चौहान की बाण चलाने की कला देखनी चाही। तभी पृथ्वीराज चौहान के साथी चंदबरदाई ने कहा...
चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण।ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान ॥
चौहान इस संदेश को समझ चुके थे और उन्होंने इस मौके को व्यर्थ नहीं जाने दिया। पृथ्वीराज चौहान का बाण सीधा गौरी के सीने में जाकर लगा। इसके बाद चंदबरदाई और पृथ्वीराज ने भी एक दूसरे को मार कर आत्मबलिदान दिया।
एक कथा लाहौर से भी :
लाहौर के रहने वाले वीर हकीकत की कहानी भी बहुत प्रसिद्ध है। वीर का ध्यान पढ़ाई की तरफ बहुत ज़्यादा था। खाली समय में जहाँ और बच्चे खेलते, वह पढ़ता रहता। एक दिन उसे दुर्गा माँ की कसम दे कर बच्चे छेड़ने लगे। जो मुस्लिम बच्चे थे उन्होंने दुर्गा माँ का मज़ाक उडाया। यह देख वीर से चुप न रहा गया और उसने कहा की अगर बीबी फातिमा को कोई ऐसा कहे तो? यह मामला बढ़ कर काज़ी तक पहुंच गया। काफी बहस के बाद तय हुआ की या तो वीर को मुस्लिम धर्म अपनाना पड़ेगा या फिर मृत्यु को गले लगाना पड़ेगा।
वीर ने मरना पसंद किया। उसका भोला सा चेहरा देख जल्लाद की तलवार गिर गयी। वीर ने जल्लाद से कहा कि मैं बच्चा होकर अपने धर्म का पालन कर रहा हूं, तो तुम बड़े होकर अपने धर्म से क्यों हट हो रहे हो? यह सुन कर उसने तलवार से उसका सिर तो अलग कर दिया पर उसका सिर धरती पर नहीं गिरा। उसका शीश आसमान में चला गया। माना जाता है कि उसका सिर स्वर्ग चला गया है। इसी याद में वसंत पंचमी के दिन पतंगे उड़ाई जाती हैं।
बंसत पंचमी 14 फरवरी 24 को है।