Default Image

Months format

View all

Load More

Related Posts Widget

Article Navigation

Contact Us Form

404

Sorry, the page you were looking for in this blog does not exist. Back Home

Ads Area

गजवा ए हिंद की उनकी तैयारी और आपका क्या ?

दारुल उलूम देवबंद ने गजवा ए हिंद के समर्थन में जारी किया फतवा। गजवा ए हिंद में मरने वालों को बताया शहीद। कश्मीर, केरल बंगाल और अब उत्तराखंड जरा गौर से देखिये जम्मू कश्मीर से असम तक एक ग्रीन बैल्ट बनाया जा रहा है। इस बैल्ट में पीछे की ओर है चीन, जी हाँ, सऊदी अरब से फंडिंग बंद हो जाने के बाद भारत के थुकले संस्थानों को चीन द्वारा फंडिंग की जा रही है क्यों कि शक्तिशाली होता भारत चीन के लिए सदैव एक प्रतिद्वंदी और सिर दर्द रहेगा, चिकन नेक से लेकर बिहार व उत्तरप्रदेश से होते हुए कश्मीर व लद्दाख तक एक थुकल पट्टी बनाई जा रही है और इनको जोड़ने वाली कड़ी हैं हिमाचल व उत्तराखंड,आर्म्स एंड इम्यूनेशन सप्लाई के लिए पूरी पट्टी न केवल चीन से प्रत्यक्ष संपर्क उपलब्ध कराएगी। बल्कि पहाड़ों के कारण गुरिल्ला युद्ध भी चलाया जा सकेगा।

अगले बीस वर्षो में जब यहाँ थुकली जनसंख्या बढ़ जायेगी तब शुरू होगा ग़जवा ए हिंद...? सबसे पहले हिंदू आबादी का जातिय सफाया शुरू होगा जब सेना गजवा ए हिंद को कुचलने बैरकों से निकलेगी तब तक देवबंद, बरेलवी उलेमा सारे थूकलो को जेहाद का फतवा दें चुके होंगे, थुकले IAS, IPS स्थानीय थुकली जनसंख्या के माध्यम से पुलिस व्यवस्था को पंगु करेंगे...?

क्या है भविष्य और कैसा होगा दृश्य ?
रेलवे स्टेशनों के मजारों पर बसे सूफी रेल की पटरियों को उखाड़ सेना के संचालन को कठिन बना देंगे। बहुत भयानक भविष्य की आहट सुनाई दे रही है भारत में, लगभग पूरे देश में प्रत्येक रेलवे लाइन के दोनो और बांग्लादेशी, रोहिंग्या और भारत के देश द्रोहियों ने झुग्गियां झोंपड़ियां बना ली हैं, एक ही झटके में और एक ही कॉल पर भारत का पूरा रेल नेटवर्क जाम कर देने की स्थिति में वे आ चुके हैं, स्टेशनों, प्लेटफॉर्म्स, रेलवे लाइनों के आस पास बनी मजारें मिनटों में घातक हथियारों के गोदामों में बदल जाएंगी, मजारों में अपराधी लोग दिन रात मंडराते रहते हैं रेकी करते रहते हैं, पूरे देश में हाईवेज और दूसरी सड़कों पर हालत कितने खतरनाक बन चुके हैं। देश की राजधानी दिल्ली को थूकलो ने लगभग चारों तरफ से घेर लिया है। बल्कि दिल्ली के भीतर नई दिल्ली, जहां हमारी सरकार रहती है उसे भी पूरी तरह से घेर लिया है। 

कभी भी हालात बिगड़े तो राजधानी पूरी तरह से जाम मिलेगी, रेलवे लाइनें जाम मिलेंगी, हाई वेज जाम मिलेंगे, सोचिए तब ये शांति प्रिय समुदाय के देश के भीतर फैले देशद्रोही क्या हालत करेंगे आप सोच भी नहीं सकते, सहारनपुर, मुजफ्फर नगर, मेरठ, अलीगढ़, गाजियाबाद, मेवात, अलवर, गुड़गांव, मुरादाबाद, हल्द्वानी, सम्भल, रामपुर ना जाने कितने तरफ से दिल्ली इनसे घिर चुकी है। 

आज के दिन शांति प्रिय मजहब का प्रत्येक व्यक्ति ना केवल घातक हथियारों से लैस है बल्कि मार काट में भी सिद्धहस्त है, नर भक्षी हैं, जिन विभिन्न राजनीतिक दलों के जाति के नाम पर बाँटने व मलाई चाटने वाले नेता,।जिनकी हम दिन रात चमचा गिरी करते हैं, क्या हमें, हमारे बच्चों, माताओं, बहनों को इन देश द्रोहियों से बचा पाएंगे, कोढ़ में खाज भेड़ की खाल में छिपे वामपंथी, देश द्रोही सामाजिक संघों के तथाकथित नेता, न्याय व्यवस्था से जुड़े कुछ माननीय और कॉंग्रेस, कंजड़, टोंटी, मोमता इत्यादि का खतरा अलग से है साथियों खतरनाक स्तर का कैंसर इस देश के अंदर फैल चुका है...! भारत के हर आर्मी कैंटोनमेंट के पास मौजूद थुकली बस्ती से भीड़ निकल कर आर्मी ऑफिसर्स के परिवारों को बंधक बनाने की कोशिशें करेगी ताकि आर्मी ऑफिसर्स को मजबूर किया जा सके, पंजाब के ख़ालिस्तानी भी उसी समय विद्रोह करेंगे जिन्हें सप्लाई देगा पाकिस्तान। 

अगर जरूरत पड़ी तो चीन सीमा पर सैनिक हलचल तेज कर देगा या छुटपुट आक्रमण भी कर सकता है।

इनकी तैयारी पुरी है और हमारी ?
इस तरह भारतीय सेना और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के बीच युद्ध चल रहा होगा जिसमें पूरी थुकली दुनियाँ से आतंक वादी भाग लेने आ रहे होंगे जबकि हिमालयी सीमांत पर पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चेचेन्या से आये हुये आतंक वादी इस गुरिल्ला युद्ध का संचालन कर रहे होंगे, उन्होंने ये सारी तैयारी पिछले सत्तर वर्ष में अपने दम पर की है लेकिन एक बात अगर आप सबसे में पुछु तो मोदी भाजपा को कोसने के अलावा आपकी तैयारी...?आपको पता है या नही कि हिंदुओं के साथ इतिहास से लेकर आज तक सबसे बड़ी समस्या जो रही है वो ये कि वे स्वंय ही युद्ध और यहाँ तक की अस्तित्व के संघर्ष में भी नैतिक होने लगते हैं, ना तो युद्ध को समझ पाते हैं और ना ही युद्ध को पूर्ण क्रूरता से लड़ पाते हैं। इतिहास में हिंदु योद्धाओं की नैतिकता की कहानी सुनाई जाती है, जबकि जिस पक्ष से लड़ रहे हैं उधर तो चालाकी और क्रूरता के अलावा कुछ है ही नही। 

शिवाजी ने जब एक संघर्ष में विजय प्राप्त की तो उनके सेना नायकों ने मुग़ल सूबेदार की सुंदर पत्नी को बंदी बना लिया और शिवाजी के सामने पालकी में प्रस्तुत किया और कहा, “राजे आपके लिए युद्ध की भेंट है”। 

शिवाजी ने पालकी में देखा और बात को समझ सूबेदार की पत्नी से बोले, “माँ,आप कितनी सुंदर हो, आपको ससम्मान आपके डेरे में पहुँचा दिया जाएगा” साथ ही अपने सेनानायकों को दोबारा कभी शत्रु पक्ष की महिला के सम्मान को अपमानित करने का साहस ना करने की चेतावनी भी दे डाली जबकि मराठा नायकों का ये प्रतिकार भर था जैसा मुग़ल करते थे। इसी तरह से पृथ्वीराज चौहान का उदाहरण नैतिकता में आकर ग़ौरी को सत्रह बार क्षमा करते रहे आखिर उसी ग़ौरी को एक अवसर मिला उसने पृथ्वीराज को तहस नहस कर दिया, राजा दाहिर को अरब थुकल खलीफ़त के युद्ध से भागे शरणागत की रक्षा क्यों करनी थी यदि दाहिर ने उन थूकलो को दे दिया होता जिसकी खोज में कासिम आया था तो क्यों उनकी अपनी बेटी का बलात्कार होता और भारत में थुकल विजय की कहानी लिखी जाती। अमरकोट के राणा ने यदि शरणागत आए हुमायुँ और उसकी पत्नी को मार दिया होता तो ना अकबर होता और ना ही औरंजेब इसीलिए भारत हिंदु इतिहास का सब से बड़ा दोषी कोई है तो वो है खुद की अनंत नैतिकता...!