न जाने कितने अयोध्या, कितने मथुरा, कितने काशी विश्वनाथ, तेलंगाना के बोधन में देवल मस्जिद नामक संरचना मूल रूप से इंद्रनारायण स्वामी मंदिर थी। इस मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी ई. के आसपास राष्ट्रकूट राजा इंद्रवल्लभ (इंद्र तृतीय) द्वारा किया गया था। मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा इस मंदिर को तोड़ दिया गया और इसे एक मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया।
अयोध्या मंदिर निर्माण के वक्त हिंदुओं के तरफ से एक नारा दिया गया अयोध्या तो झांकी है काशी मथुरा अभी बाकी है । अब आप खुद के अपने दिल पर हाथ रखकर यह सवाल करिए की क्या आप सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही अपने सांस्कृतिक धरोहर को वापस कानूनी लड़ाई के जारी है पाना चाहते हैं ? क्या अन्य राज्यों में मंदिरों को तोड़कर मस्जिदों का निर्माण नहीं किया गया? क्या वहां पर आपको आपके सांस्कृतिक धरोहर कानूनी लड़ाई के तत्पश्चात नहीं चाहिए ?
हमारे देश पर जब इस्लामी आक्रांताओं ने हमला किया तो लाखों की संख्या में मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बना दिया गया, आज समय ऐसा है कि भारतीय सरकार और भारतीय रेलवे के बाद अगर किसी के पास सबसे ज्यादा जमीन है तो वह है इस्लामिक संगठनों के पास। इसमें गलती किसी और कि नहीं बल्कि हम हिंदुओं की ही है। वो सुना है ना हमने कि जब हम सामने वाले को एक उंगली दिखाते हैं तो चार उंगली खुद की तरफ भी इशारा करती है अर्थात पहले हम हिंदुओं को खुद में इतना मजबूत होना होगा की यह आक्रांत कट्टरपंथी विचारधारा हमारे सामने नहीं टिक पाए।
ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि बीते दिन बिग बॉस में वह व्यक्ति जीत गया जिसकी पहचान ही हमारे प्रभु श्री राम को और माता सीता को गलत कहने पर बनी थी। जी हां आप खुद विचार करिए की क्या मुनव्वर फारूकी सिर्फ मुसलमान के वोट से जीता है नहीं 50% से ज्यादा वोट मुनव्वर फारूकी को लिब्रांडू सेकुलर हिंदुओं द्वारा दिए गए। बस यही वह लोग हैं जिनके कारण अतीत में भी हिंदू धर्म अपने घुटनों पर आ जाया करता था और आज वर्तमान में भी इन्हीं लिब्रांडुवो की वजह से हम अपने हक की लड़ाई मजबूती से नहीं लड़ पा रहे हैं।