भारत की आजादी के बाद अगर हम राजनीतिक पन्नों में झांके तो पता चलता है कि बीते 70 सालों में कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्र को उन्नत बनाने की बजाय सिर्फ लूटा और यही कारण है कि इनके कर्मों की सजा आज जनता इनको वोट न देकर दे रही है। अगर आपको अभी भी ऐसा लग रहा है की हम गलत है तो आइए हम आपको आंकड़ों से समझाते है।
किसका शासन कितने वर्षों का :
आज़ादी के बाद से अब तक कांग्रेस ने सर्वाधिक नौ प्रधानमंत्री देश को दिए हैं। उसके बाद जनता दल ने देश को तीन प्रधानमंत्री दिए। विश्वनाथ प्रताप सिंह, देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल। भाजपा यहाँ तीसरे नंबर पर आ रही है। भाजपा ने अब तक देश को केवल दो प्रधानमंत्री दिए हैं। कांग्रेस के सभी प्रधानमंत्रियों के शासनकाल का जोड़ 53 साल 171 दिन का रहा है और इसमें इनकी भारत निर्माण की गति कछुए जैसी रही।
भाजपा के प्रधानमंत्रियों के शासनकाल का जोड़ कुल 10 साल 263 दिन आता है। सब कुछ आपके सामने है। दुनिया भर में एक कहावत मशहूर है। 'आम भारतीय की याददाश्त बड़ी कमज़ोर होती है'। जब हम इस तुलना को देखते हैं तो समझ में आता है कि भाजपा तो अभी शुरू ही हुई है। उसके दोनों प्रधानमंत्रियों का शासनकाल बेजोड़ रहा है।
देश को सौगातें कम, घाव अधिक :
इन 53 सालों में देश को सौगातें कम, घाव अधिक दिए गए। इन इक्यावन सालों में कांग्रेस के नेताओं की संपत्ति हिमालय की ऊंचाई से होड़ करने लगी थी। मोदी सरकार का एक कार्यकाल पूरा नहीं हुआ और असंतुष्टों के स्वर उभरने लगे हैं। एक आम भारतीय इतना अधीर क्यों है। उसका कारण आपके भीतर ही छुपा बैठा है। पहले अंग्रेज़ों की लाठी खाई और बाद के सालों में नेताओं से लूटे गए हैं आम आदमी। उसकी अधीरता इतनी बढ़ गई है कि उसे रातोरात परिणाम चाहिए।
देश का जनादेश तो आपातकाल के बाद से ही बदलने लगा था। राजीव गाँधी के बाद कांग्रेस सहयोगी दलों के सहयोग से सत्ता में टिकी रही है। वास्तव में देखा जाए तो वह अपना मूल जनादेश 2004 से ही खो चुकी थी। भारत एक बार भरोसा करता है तो लम्बे समय के लिए करता है। देश ने कांग्रेस को पांच दशक दिए हैं जो कम नहीं होते।
कुछ लोग कहते हैं कि भारतीय के डीएनए में कांग्रेस है। जनाब एक आम भारतीय के डीएनए में केवल चिंगारी पलती आई है। उसके अंदर कोई पार्टी साँस नहीं लेती। ब्रिटिशों को भगाया और कांग्रेस को लाया। उसने कांग्रेस को भी खुद पर हावी नहीं होने दिया है। जब तक भाजपा अच्छे प्रधानमंत्री देगी, देश उसको लाता रहेगा। कांग्रेस को समझना होगा कि दरी पर बैठने के दिन तो अब शुरू ही हुए हैं। अभी कई दशकों तक उन्हें दरी पर ही बैठना है।
मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव कांग्रेस उस दिन ही हार गई थी, जब उसके नेता ने कहा था 'चौकीदार चोर है'। चौकीदार को चोर कहने से चुनाव नहीं जीते जा सकते। आपको बताना पड़ता है कि आपमें उससे भी बेहतर चौकीदार बनने की काबिलियत है। आप सारे चुनावों में यही कर रहे हैं। कहीं भी आप ये नहीं बता रहे कि हम उनसे बेहतर कर सकते हैं। जनता को ये बर्दाश्त नहीं होगा कि 'चोर ही चौकीदार को चोर बोले।'
देखा जाए तो भाजपा को छोड़ सारी गैर कांग्रेसी सरकारें किसी न किसी रूप में कांग्रेसी ही रही है। भ्रम पैदा न हो इसलिए 'प्रधानमंत्रियों' की तुलना की गई है।