अमेरिका एशिया में आज तक अपना प्रभुत्व ज़माने में ना केवल इसलिए सक्षम हुआ है,के उसके पास दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना है या उसके पास नाटो की ताकत है। अमेरिका ने एशिया में ही नहीं पुरे विश्व में अपना प्रभुत्व डॉलर की वजह से कमाया।
ब्रिटिन वुड एग्रीमेंट के बाद इसी डॉलर ने ना केवल अमेरिका की इकॉनमी बड़ाई बल्कि उसका दुनिया में प्रभुत्व जमाया डॉलर के ही कारण आज अमेरिका दूसरे देश पे जब चाहे प्रतिबन्ध लगा के उसकी आर्थिक स्तिथि को निस्तोनाबूत कर सकता है।
हाल ही में खबर आयी की अमेरिका भारत को 500 मिलियन डॉलर मिलिट्री ऐड के रूप में देने के लिए विचार कर रहा है । इसको सोच के तो हसी आना लाज़मी है की 500 मिलियन डॉलर. तो अमेरिका दे ही रहा है पर इसमें भी एक सर्त है की आपको हथियार अमेरिका की कोई हथियार निर्माता कंपनी से ही खरीदने पड़ेंगे।
मतलब घूम फिर के पैसे दुबारा अमेरिका में ही चला जायेगा भारत के रक्षा विशेषज्ञ हमेशा से कहते आये है ,कि भारत का रूस से हथियार खरीदने के कई मजबूत साक्ष्य है। जिन्हे नाकारा नहीं जा सकता। उसमें से एक है रूस के हथियार, अमेरिका के हथियारों की तुलना में मेहेंगे होते है। इस 500 मिलियन की ऐड को एक अमेरिका की सरकार द्वारा भारत की सरकार को अमेरिकी हथियारों ओर डिस्काउंट कहना सही है और अमेरिका अब चाहेगा की वो लगातार भारत को हथियारों के मामले में निर्भरता रूस पर से कम करे और ऐसा हो सकता है की ये 500 मिलियन की ऐड एक सलाना ऐड बन जाये अब देखना होगा की भारतीय सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देगी।
आज अमेरिका अपने दोनों हाथ खोल कर इंतज़्ज़ार कर रहा है , कि कैसे ना कैसे वो भारत को अपने खेमे में ला सके । इस ऐड से ना केवल अमेरिका रूस पर चोट करना चाहा रहा है , बल्कि वह एशिया में भारत को अकेला चीन का प्रतिद्वंदी देखता है और वह चाहेगा की भारत मजबूत हो एक सीमा तक और अमेरिका को अगर अपना प्रभुत्व इनडो पेसिफिक में बढ़ाना है तो इसमें केवल एक ही देश है जो अमेरिका की मदद कर सकता है।