कितना घातक रहा है, वही कोरोना वायरस के नए-नए वेरिएंट चिकित्सा विशेषज्ञों की चिंताएं बढ़ाते जा रहे हैं। जहां एक तरफ हर नए वेरिएंट के साथ कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं, तो वही डॉक्टरों की टीम इसके प्रभाव को कम करने के लिए भी शोध में जुटी हुई है। इसी बीच अब कर्नाटक के मंगलौर में कोरोना वायरस का एक नया वेरिएंट सामने आया है, जिसका नाम है "एटा वैरिएंट" हालांकि यह वैरीअंट नया नहीं है। लेकिन भारत में इसके सामने आने के बाद भारतीय चिकित्सा विशेषज्ञों की चिंताएं एक बार फिर से बढ़ गई हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दे की हिंदुस्तान टाइम्स में एक खबर छपी है, जिसके अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी "डब्ल्यूएचओ" ने दिसंबर 2020 में ही कोरोना वायरस के इस वेरिएंट का जिसका नाम एटा वेरिएंट है इसकी पहचान की थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अभी तक इसकी कोई पुख्ता जानकारी नहीं दी है कि आखिर यह वेरिएंट सबसे पहले किस देश में सामने आया था। वही आपको बता दें कि डब्ल्यूएचओ की तरफ से 17 मार्च 2021 को इस वेरिएंट को वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट के रूप में चिन्हित किया गया था। इस वेरिएंट के सामने आने के बाद डॉक्टरों की टीम इस पर जांच कर रही है कि यह वेरिएंट कितना घातक है और इसके प्रभाव कितने हैं
इस वैरिएंट का पहला मामला मिजोरम से आया था :
अगर हम डॉक्टरों की माने तो एटा वेरिएंट कोरोना वायरस के अन्य सभी वैरीअंट से पूरी तरह से अलग है और इसके पीछे डॉक्टरों की तरफ से यह कारण दिया गया है कि यह वायरस E484K और F888L का म्यूटेशन है। गौरतलब है कि इस वैरीअंट का पहला मामला भारत में पिछले महीने मिजोरम में पाया गया था। हालांकि यह भी देखने को मिला है कि इस वैरीअंट का असर मिजोरम में सामने आने के बाद उतना प्रभावी नहीं रहा। लेकिन फिर भी विशेषज्ञों ने राज्य सरकार को विशेष सावधानी बरतने और अधिक से अधिक टेस्ट करा कर इस वेरिएंट से हुए संक्रमितों का पता लगाने की नसीहत दी है, जिससे यह पता चल सके कि यह वैरीअंट कितना घातक है।
दुबई से लौटे एक शख्स में भी पाया गया था एटा वेरिएंट :
चिकित्सा अधिकारियों की तरफ से बताया गया है कि 4 महीने महीने पहले दुबई से लौटे एक शख्स में कोरोना संक्रमण पाया गया था जिसके बाद उस शख्स का उपचार किया गया और उसके सैंपल को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा गया। जिसके बाद अब भी पिछले गुरुवार को उसमें एटा वेरिएंट से संक्रमण होने की पुष्टि हुईं है। डॉक्टरों की तरफ से यह भी कहा गया है कि एटा वेरिएंट भारत में कोई नया वेरिएंट नहीं है, इससे पहले कर्नाटक में इस वेरिएंट के कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसकी सीक्वेंसिंग के बाद इसकी पुष्टि हो पाई है।
एटा वेरिएंट और अन्य वेरिएंट के मुकाबले उतना प्रभावी नहीं :
अगर हम चिकित्सा विशेषज्ञों की माने तो मंगलौर में मिला एटा वैरीअंट का नया मामला चिंता का विषय नहीं है, एटा वैरीअंट आज भी इओटा, कप्पा और लेम्ब्डा के साथ-साथ "वेरिएंट औफ इंटरेस्ट " बना हुआ है। फिलहाल अभी इन सारे वेरिएंट्स पर शोध जारी है कि, यह वेरिएंट्स कितने प्रभावी हैं। आपको बता दें कि कोरोना वायरस के इओटा, कप्पा और लेम्ब्डा वेरिएंट एटा वेरिएंट के मुकाबले ज्यादा चिंताजनक वैरिएंट है, क्योंकि इन वेरिएंट ने संक्रमण की रफ्तार को बढ़ाया था। एटा वेरिएंट के केस में संक्रमण को बढ़ाने जैसे कारण नहीं देखने को मिले है, फिर भी चिकित्सकों की टीम इसपर लगातार शोध कर रही है ताकि यह एटा वेरिएंट भारत में कहीं तीसरी लहर का कारण न बने।