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विधानसभा चुनाव और कांग्रेस का सेकुलरवाद

भारत में "सेकुलरवाद" कितना विकृत हो चुका है - इसे विधानसभा चुनावों ने फिर रेखांकित कर दिया है. कांग्रेस ने भाजपा के विजय-उपक्रम को रोकने हेतु कुछ तथाकथित "सेकुलर" राजनीतिक दलों से चुनावी समझौता किया है. प. बंगाल में उसने वामपंथियों के साथ हुगली स्थित फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की "इंडियन सेकुलर फ्रंट" (आई.एस.एफ.) से गठबंधन किया है, वहीं असम में मौलाना बदरुद्दीन अजमल के "ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट" (ए.आई.यू.डी.एफ.) के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है.दोनों ही मजहबी राजनीतिक दलों का परिचय उनके राजनीतिक दृष्टिकोण, जो शरीयत और मुस्लिम हित तक सीमित है - उससे स्पष्ट है. यह पहली बार नहीं है, जब देश में सेकुलरवाद के नाम पर इस्लामी कट्टरता और संबंधित मजहबी मान्यताओं को पोषित किया जा रहा है.