राज्यसभा से निलंबित आठ सांसदों ने पूरी रात प्रदर्शन किया. संसद परिसर स्थित गांधी प्रतिमा के पास सभी निलंबित सांसद डटे हुए हैं. निलंबित सांसदों से मिलने मंगलवार सुबह राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन हरिवंश संसद परिसर पहुंचे हैं. वह निलंबित सांसदों के लिए चाय लेकर पहुंचे. पीएम मोदी ने भी इस पर ट्वीट किया है. उन्होंने कहा कि जिन सांसदों ने कुछ दिन पहले हमला किया और उन सांसदों से जाकर मुलाकात करना और चाय देना दिखाता है कि हरिवंश जी कितने विनम्र हैं. ये उनका महानता दिखाता है.
एक तो चोरी ऊपर से सीना जोड़ी वाली हरकत कर रहा है विपक्ष :-
कांग्रेस के सांसद रिपुन बोरा ने कहा कि उपसभापति हरिवंश हम सभी सांसदों से मिलने आए. वह बतौर एक साथी के तौर पर मुलाकात करने आए. वह हम लोगों के लिए चाय लेकर आए. रिपुन बोरा ने कहा कि निलंबन के विरोध में हम लोग धरने पर बैठे हैं. हम रातभर यहीं पर थे. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से कोई भी हमसे मिलने नहीं आया. विपक्ष के कई सांसदों ने हम लोगों से मुलाकात की. हम लोगों का धरना जारी रहेगा.
आप सांसद संजय सिंह ने ट्वीट करके कहा कि उपसभापति जी सुबह धरना स्थल पर मिलने आये हमने उनसे भी कहा कि नियम क़ानून संविधान को ताक़ पर रखकर किसान विरोधी काला क़ानून बिना वोटिंग के पास किया गया जबकि BJP अल्पमत में थी और आप भी इसके लिये जिम्मेदार हैं.चाय लेकर पहुंचे उपसभापति हरिवंश से सांसद संजय सिंह ने कहा कि ये व्यक्तिगत रिश्ते निभाने का सवाल नहीं है. यहां हम किसानों के लिए बैठे हुए हैं. किसानों के साथ धोखा हुआ है. यह पूरे देश ने देखा है.
उपसभापति हरिवंश सिंह एक दिन का उपवास रखेंगे:-
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सिंह एक दिन का उपवास रखेंगे. विपक्ष के सांसदों के व्यवहार के खिलाफ उपसभापति उपवास रखेंगे.
संसद के मॉनसून सत्र का आज नौवां दिन है. राज्यसभा में आज विपक्षी दलों के 8 सांसदों के निलंबन का मुद्दा उठ सकता है. विपक्ष सभापति के फैसले का विरोध कर रहा है.
वहीं कांग्रेस सांसद गुलाब नबी आजाद ने कहा कि पिछले दो दिन में जो कुछ भी हुआ, मुझे नहीं लगता कि उससे कोई खुश है. गुलाम नबी ने कहा कि ये हमारा परिवार है और सभापति जी आप इस परिवार के मुखिया है. घर में भी झगड़े होते हैं. टाइम की कमी ही सौतन बन गई है. इसी कारण ये घटना हो गई. इतने बड़े विषय होते हैं, समय कम होता है बोलने का. कई बार तो ऐसे झगड़े होते हैं जैसे लगता ही कि सीमा पर लड़ रहे हैं. गुलाम नबी ने कहा कि सांसद कम समय के कारण अपनी बात नहीं रखने के कारण नाराज रहते हैं. ये झगड़ा नहीं होना चाहिए था. कोई माइक तोड़े, मेज पर चढ़े, ऐसी घटना नहीं होनी चाहिए. सरकार की मजबूरी हम समझ सकते हैं. परसों 18 पार्टियां एक तरफ थीं और एक पार्टी एक तरफ थी. सारा झगड़ा इसी पर हो गया. समय ही हमारी लड़ाई का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया. सरकार और विपक्ष के बीच तालमेल होना चाहिए, लेकिन सरकार और आसन के बीच तालमेल होना जरूरी नहीं है.
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