पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोरोना संक्रमण से लड़ने की जगह उसे सामान्य मान लेने की अपील राज्य की जनता से की। उन्होंने कोरोना के बढ़ते मामलों पर खुद को लाचार बताया। साथ ही ये भी कहा कि अब वो कुछ नहीं कर सकतीं।द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने राज्य में कोरोना के बढ़ते मामलों पर शुक्रवार को कहा, 'यह मेरे हाथ में नहीं रह गया। अब मुझे कुछ नहीं करना है। आप अपने बगल में कोरोना के साथ सो सकते हो। इसे अपना तकिया बनाएँ। मुझे माफ करें।'जानकारी के मुताबिक, अन्य राज्यों की भाँति लंबे लॉकडाउन के बाद पश्चिम बंगाल में भी कुछ रियायतें दी गईं।जिनके मद्देनजर 8 जून से राज्य में सरकारी व प्राइवेट ऑफिस खुलने का ऐलान हुआ। साथ ही 1 जून से धार्मिक स्थल भी खोले जाने की घोषणा हुई। हालाँकि स्कूलों को लेकर यह फैसला हुआ कि सभी शैक्षणिक संस्थान जून में बंद रहेंगे।
प्रवासी मजदूरों के लौटने से ममता बनर्जी खासी नाराज दिखीं:-
इसके अलावा राज्यों में प्रवासी मजदूरों के लौटने से ममता बनर्जी इस दौरान खासी नाराज दिखीं। जिसके कारण उन्होंने सरकार द्वारा चलाई जा रही श्रमिक ट्रेन को कोरोना एक्सप्रेस भी बताया। उन्होंने धार्मिक स्थलों के खोले जाने के ऐलान पर कहा कि अगर हजारों लोगों को एक ट्रेन में भेजा जा सकता है, तो धार्मिक स्थल भी खुल सकते हैं।उन्होंने श्रमिक ट्रेनों से लौटते प्रवासी मजदूरों पर सवाल उठाते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में पिछले दो महीने से कोरोना वायरस संक्रमण को नियंत्रित करने में सफलता मिली थी। लेकिन अब मामले बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि बड़ी संख्या में लोग लौट रहे हैं।
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