Default Image

Months format

View all

Load More

Related Posts Widget

Article Navigation

Contact Us Form

404

Sorry, the page you were looking for in this blog does not exist. Back Home

Ads Area

अयोध्या मामले को सुलझाने के करीब थे चंद्रशेखर जाने कब कब हुई कोशिशें


नमस्कार मित्रों आप सभी का स्वागत है भारत आइडिया में आज हम बात करने जा रहे हैं अयोध्या विवाद के समझौते की पहली कोशिश के बारे में।


 अयोध्या मामले को सुलझाने के करीब थे चंद्रशेखर जाने कब कब हुई कोशिशें

अयोध्या विवाद के समझौते की पहली कोशिश पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के समय में हुई। इसके बाद दूसरी बार चंद्रशेखर के दौर में हुई लेकिन सियासत ने ऐसी करवट ली कि दोनों की कोशिश नाकामयाब साबित हुई।
अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद 69 साल से कोर्ट में है। देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में है सोमवार से अयोध्या की विवादित भूमि पर मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू हो रही है।
 हालांकि इस मामले पर समझौते की पहल पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह से लेकर चंद्रशेखर सिंह तक ने की थी उनकी कोशिशों अमलीजामा पहनती लेकिन सियासत ने ऐसी करवट ली की सारी कवायद फैल हो गई। 




वीपी सिंह के दौर में समझौते की पहली पहल !
अयोध्या विवाद के समझौते की पहली कोशिश पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के समय में हुई, उन्होंने इस मामले के समाधान के लिए दोनों पक्षकारों से बातचीत के सिलसिले शुरू कराएं मामले के समझौते का ऑर्डिनेंस लाया जा रहा था। सियासत में ऐसी करवट ली कि उन्हें ऑर्डिनेंस को वापस लेना पड़ा।
दरअसल समझौते की बीच बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर के लिए सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथ यात्रा शुरू कर दी। आडवाणी रथ लेकर बिहार पहुंचे तो प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने उन्हें गिरफ्तार करा दिया केंद्र में बीजेपी के सहयोग से चल रही बीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया, इसके चलते वीपी सिंह की सरकार गिर गई और अयोध्या समझौते की कोशिशें नाकामयाब रही।




चंद्रशेखर ने की समझौते की दूसरी कोशिश !
अयोध्या विवाद के समाधान की दूसरी पहल तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के दौर में शुरू हुई और यह समाधान के करीब थी लेकिन दुर्भाग्य था कि उनकी सरकार चली गई। इस बात का जिक्र एनएसपी अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने अपनी आत्मकथा "अपनी शर्तों पर" में लिखा है।
आप सभी को बता दे कि पवार ने अपनी किताब में लिखे है कि चंद्रशेखर के नेतृत्व में केंद्र सरकार 7 महीने से अधिक कार्य नहीं कर सकी लेकिन इसी अवधि में सरकार ने राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद विवाद को हल करने के गंभीर प्रयास किए ,राजस्थान के वरिष्ठ बीजेपी नेता भैरो सिंह शेखावत और मैंने भी इस समस्या के समाधान में प्रयास किया हालांकि बहुत से लोगों को इस प्रयास की जानकारी नहीं है क्योंकि एक तो यह प्रयास पूर्णता गैरसरकारी था दूसरा अंतिम रूप में यह प्रयास व्यर्थ हो गया था।




आखिर कैसे गिरी चंद्रशेखर की सरकार !
दरअसल मार्च 1991 में कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस ले लिया और चंद्रशेखर के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई यदि चंद्रशेखर की सरकार 6 माह या इससे कुछ अधिक दिनों तक बनी रहती तो यह विवादित मुद्दा निश्चय ही सुलझ गया होता। इस सरकार के गिर जाने के बाद अवरुद्ध हुई प्रक्रिया को दोबारा शुरू नहीं किया जा सका।
चंद्रशेखर के नेतृत्व वाली सरकार के गिर जाने के बाद 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा ढहा दिया। बाबरी मस्जिद के विध्वंस और अपने पूरे कार्यकाल पर नरसिम्हा राव ने किताबें भी लिखी इसके मुताबिक वह चाहते हुए भी इस घटना को रोक नहीं पाए और यह बात उन्हें देर तक कचोटती रही।




वाजपेई  के दौर में बातचीत !
अटल बिहारी बाजपेई के सत्ता में आने के बाद यह मामला एक बार फिर शुभ गाने लगा। मामले की गंभीरता को समझते हुए वाजपेई जी ने प्रधानमंत्री कार्यालय में अयोध्या विभाग का गठन किया और वरिष्ठ अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को दोनों पक्षों से बातचीत के लिए नियुक्त किया हालांकि वह भी नतीजे तक नहीं पहुंच सके।




संपादक आशुतोष उपाध्याय

आपकी प्रतिक्रिया

खबर शेयर करें

Post a Comment

Please Allow The Comment System.*