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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश के लिए योगदान, PART 2

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को आज लगभग 93 वर्ष हो चुके है, 1925 में दशहरे के दिन डॉ. केसव बलिराम हेडगेवार जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी। 

सांप्रदायिक हिंदूवादी, फासीवादी और इसी तरह ना जाने कितने अन्य तरह के शब्दों से पुकारे जाने वाले संगठन के तौर पर इसकी आलोचना होती रही है लेकिन हर बार संघ ने खुद पर लगे सारे आरोपों को झूठा साबित किया और जब भी देश को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जरूरत पारी संघ ने अपना पूरा योगदान दिया। आज इस लेख का मकसद ये है की संघ ने कब-कब देश में अपनी उपयोगिता शाबित की है उसकी एक सीरीज लिखने जा रहा हूँ ताकि संघ का महत्वा आपको पता चल सके।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश के लिए योगदान, PART 2


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ  दुतिये  पृष्ठ, संघ का 1962 की युद्ध में योगदान 
हमने आपको सीरीज की पहली लेख में बतया था  संघ का 1947 में आजादी के बाद योगदान  क्या  रहा था  और आज हम इस सीरीज की दूसरी पृष्ठ के बारे में बात करने जा रहे है, वो है संघ का 1962 में चीन के विरुद्ध लड़ाई में क्या योगदान था। आपको जानकर हैरानी होगी की, सेना की मदद के लिए देश भर से संघ के स्वयंसेवक पूरी उत्साह के साथ सिमा पर पहुंचे थे, जिसे पूरे देश ने देखा और सराहा था। संघ के स्वयंसेवको ने सरकारी कार्यो में और मुख्य रूप से जवानो की मदद में पूरी ताकत लगा दी थी, सैनिको की आवाजाही मार्गो की चौकसी, प्रशासन की मदद, रसद और आपूर्ति में मदद और यहाँ तक की जब युद्ध ख़त्म हुई तब शहीदो के परिवार की भी संघ के स्वयंसेवको ने मदद की थी। संघ के इस कार्य से जवाहर लाल नेहरू भी प्रभावित हुए थे और उनहोने 1963 में 26 जनवरी की परेड में संघ को शामिल होने का भी न्योता दिया था।परेड करने वालो को आज भी 26 जनवरी की परेड के लिए महीनो तैयारी करनी परती है लेकिन संघ के स्वयंसेवको ने मात्र 2 दिनों में में इसकी तयारी पूर्ण की थी और 26 जनवरी की परेड  में शामिल हुए थे। 26 जनवरी की परेड में तक़रीबन 3500 स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में शामिल हुए थे।

सम्पादक : विशाल कुमार सिंह 


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