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आसाम में एनआरसी मामले पर ममता ने दिया गृहयुद्ध होने जैसा बयां दिया।

असम में एनआरसी के मुद्दे पर पुर देश की राजनीति में भूचाल आया हुआ है। मंगलवार को इस मुद्दे पर सदन में जम कर हंगामा हुआ नौबत ऐसी आगयी की सदन को अनिश्चित काल तक के लिए स्थगित कर दिया गया। राज्यसभा में हंगामे के चलते बीजेपी के प्रमुख अमित साह  को भी बोलने का मौका नहीं मिला। इस मुद्दे पर तमाम विपक्छी दल सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे है। तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी का भी इस मुद्दे पर बयान आया है और एनआरसी के मुद्दे पर ममता बनर्जी ने सरकार पर गंभीर आरोप भी लगाए है। ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर कंस्टीटूशन क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम 'LOVE FOR NEIGHBOUR' विषय पर बोलते हुए ममता बनर्जी ने कहा एनआरसी मसौदा लागु करने के पीछे बीजेपी की एक बरी चाल छुपी हुई है और ऐसा हम पश्चिम बंगाल में कतई नहीं होने देंगे।  ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर बीजेपी पर गंभीर आरोप लगते हुए कहा की एनआरसी के बहाने सरकार देश को बांटने की कोशिश कर रही है, इससे लोग आपस में लड़ेंगे, खून खराबा होगा और देश  गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा हो जायेंगे।


 आपको जैसा कि हमने पहले बतया था की, असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर एनआरसी का दूसरा एवं अंतिम मसौदा को सोमवार को जारी किया गया, आपको जानकार हैरानी होगी की इसमें 3.29 करोड़ लोगो में से 2.89 करोड़ लोग योग्य पाए गये है इसके अलावा 40 लाख लोगो का अता पता ही नहीं है, ये वो लोग है जो अवैध रूप से भारत  में रह रहे है, जो या तो भारतीय शायद हो सकते है या फिर बांग्लादेशी है। ये आंकड़े सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जारी किये गए है, सरकार का कहना है की ये सिर्फ मसौदा है अंतिम सूचि नहीं है। एनआरसी के रजिस्ट्रार का कहना है की जिन लोगो का नाम पहले मसौदे में था और दूसरे मसौदे से गायब है, उन्हें एनआरसी व्यक्तिगत पत्र भेजेगी ताकि वो अपना दावा पेश कर सके।असम में नागरिकता को लेकर सोमवार को एनआरसी की और से दूसरा मसौदा जारी किया गया जिसमे अवैध रूप से भारत में रहने वालो की संख्या 40 लाख के करीब पाई गयी है। इस मामले पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह का बयान आया है की लोग ज्यादा घबराये नहीं क्युकी ये अंतिम सूचि नहीं है, अंतिम सूचि आने तक का लोग इंतजार करे। राजनाथ सिंह ने कहा की कुछ लोग इस मुद्दे के आधार पर बेवजह का डर का माहौल बना रहे है, उन्होंने इस रिपोर्ट को निस्पक्छ बताया है।

सम्पादक : विशाल कुमार सिंह
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