( अनुमंडलीय अस्पताल) जिसमे की लापरवाही की हद हो चुकी है । (इधर की स्थिति गंभीर है)
आज हम बात करने जा रहे एक दानापुर में स्थित अनुमंडलीय अस्पताल के बारे में जो कि नाम का सरकारी अस्पताल है,लेकिन इधर अधिक से अधिक काम पैसों से होता है क्यों कि अगर आपको कुत्ता काट लिया है तो सरकारी अस्पताल के डॉक्टर साहब बोलेंगे की जा के बाजार से सुई लाये तब लगेगा । इधर कोई भी दवा या इंजेक्शन रहते हुए भी ज्यादा तर डॉक्टर बोलते है कि दवा जा के बाहर से लाने क्यों कि वह सभी दवा आने से पहले ब्लैक में बेच देते है ।उनको यह समझ मे नही आता है कि अगर गरीब के पास पैसा ही रहता तो वो सरकारी अस्पताल में दिखाने नही आते ।
इन्हें सोचना चाहिए कि कितना आपातकाल स्थिति में लोग आते हैं जो की रोग से ग्रसित रहते हैं फिर भी उनको बोला जाता है कि अभी लाइट नही है आएगा तब पर्ची कटेगा।
आप सभी को बता दे कि कोई भी अस्पताल बिना जनेटर या इनवर्टर के नहीं रहता है ,क्यों कि अगर जरनेटर या इनवर्टर नही रहेगा तो आईसीयू कैसे चलेगा और जहां पर्ची कटेगा उधर इनवर्टर नहीं रहेगा ऐसा हो नहीं सकता लेकिन इधर सिस्टम में गड़बड़ी है।
यह स्थिति है बिहार के पटना जिला दानापुर के अनुमंडलीय अस्पताल का। इधर के कोई भी रोगी सुविधाजनक महसूस नहीं कर पाता है ।
संपादक:आशुतोष उपाध्याय