पटना:आर्यभट खगौल की बेटी मधुमिता को,गुगल कम्पनी में मिला एक करोड़ का पैकेज
जल्द होंगी स्विट्जरलैंड रवाना
पिता सोनपुर रेल मंडल में सहायक आरपीएफ कमान्डेंट हैं।
म्याधुमिता जी का कहना है कि वो जरुरतमंद लड़कियों को शिक्षित करने का काम करेगी।
महान वैज्ञानिक आर्यभट की कर्मभूमि खगौल (खगोल),पटना,
बिहार की मधुमिता को एक करोड़ सालाना के पैकेज पर टेकनिकल साॅलुशन इंजीनियर के पद पर गुगल,स्विट्जरलैंड में प्लेसमेंट हुआ है। मधुमिता का कहना है कि बचपन से ही गुगल जैसी बड़ी कंपनी में काम करने का सपना देखती रही।पर खगौल के एक छोटा कस्बा होने के कारण और बड़े कॉलेजों में शिक्षा नहीं मिलने की वजह से हर किसी ने मुझे हतोत्साहित किया कि गुगल में पहुँच पाना संभव नहीं है...कुछ और सोचो!
बावजूद ऊंचे शिखर पर जाने की ख्वाईश और दिन रात कड़ी मेहनत कर मर्सिडीज,अमेज़न जैसी बड़ी कंपनियों में सफलता हासिल करते हुए वर्तमान में सात चरणों का इन्टरव्यू पास कर एक करोड़ सालाना के पैकेज पर टेकनिकल साॅलुशन इंजीनियर के पद पर गुगल, स्विट्जरलैंड में प्लेसमेंट हुआ है। मैं ने एक सपना देखा वो पूरा हुआ।यह जानकर कर मैं काफी खुश हूँ।यह भी कहती हैं कि यदि आप आईआईटी,नीट जैसे संस्थानों से शिक्षा ग्रहण नहीं किए हैं तब भी मेहनत के बल पर किसी भी मुकाम को हासिल कर सकते हैं। मधुमिता ने बताया कि मेरी प्रारंभिक शिक्षा वाल्मी, डीएवी से हुई है। इस के बाद आर्य कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, जयपुर से कम्पयुटर साईंस में बीटेक करने के बाद एपीजी बंगलुरू में मेरा प्लेसमेंट हुआ। वे अपने प्रेरणास्रोत के रूप में अपने माँ-पिता एवं पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का नाम लेती हैं।
मेरी माँ चिंता शर्मा और पिता सुरेन्द्र शर्मा जो इस समय सहायक कमान्डेंट रेलवे सुरक्षा बल के पद पर सोनपुर रेल मंडल में कार्यरत हैं।उन्होंने मेरा सपना पूरा करने के लिए मुझे हर तरह का सहयोग और उत्साहवर्धन दिया है।अपने माँ-पिता के कर्ज को मैं कभी भूल नहीं पाऊंगी।मेरा भाई भी इंजीनियरिंग और बहन भी मेडिकल की तैयारी कर रही है।मधुमिता का कहना है कि पैसा कमाना मेरा मकसद नहीं है।बचपन से सुनती आ रही हूँ कि बेटियां घर,परिवार पर बोझ होती हैं, उन्हें लाखों का दहेज़ देना पड़ता है।इसके बाद भी अगर उसके भाग्य ने उसका साथ नही दिया तो उसे जीवन भर रोना पड़ता है। शायद यही वजह है कि मैंने सोचा कि मैं खुद को बुलंद करूँ ताकि समाज बेटियां पर भी गर्व करे। मैं आज की लड़कियों से कहना चाहती हूँ कि वे अपने जीवन में ऐसा मुकाम हासिल करें कि बेटियों पर भी समाज और देश को गर्व हो और धनोपार्जन करके वे अपनी पारिवारिक जरूरतों को भी पूरा कर सकें।अगर ऐसा हो तो फिर कोई बेटी किसी पर भी बोझ न बनेगी।खगौल की बेटी की इस सफलता को लेकर खगौलवासी भी काफी खुश हैं। क्योंकि इस बेटी ने खगौल के साथ साथ बिहार का भी नाम रौशन किया है।
जय हो बिहार
आशुतोष उपाध्याय
जल्द होंगी स्विट्जरलैंड रवाना
पिता सोनपुर रेल मंडल में सहायक आरपीएफ कमान्डेंट हैं।
म्याधुमिता जी का कहना है कि वो जरुरतमंद लड़कियों को शिक्षित करने का काम करेगी।
महान वैज्ञानिक आर्यभट की कर्मभूमि खगौल (खगोल),पटना,
बिहार की मधुमिता को एक करोड़ सालाना के पैकेज पर टेकनिकल साॅलुशन इंजीनियर के पद पर गुगल,स्विट्जरलैंड में प्लेसमेंट हुआ है। मधुमिता का कहना है कि बचपन से ही गुगल जैसी बड़ी कंपनी में काम करने का सपना देखती रही।पर खगौल के एक छोटा कस्बा होने के कारण और बड़े कॉलेजों में शिक्षा नहीं मिलने की वजह से हर किसी ने मुझे हतोत्साहित किया कि गुगल में पहुँच पाना संभव नहीं है...कुछ और सोचो!
बावजूद ऊंचे शिखर पर जाने की ख्वाईश और दिन रात कड़ी मेहनत कर मर्सिडीज,अमेज़न जैसी बड़ी कंपनियों में सफलता हासिल करते हुए वर्तमान में सात चरणों का इन्टरव्यू पास कर एक करोड़ सालाना के पैकेज पर टेकनिकल साॅलुशन इंजीनियर के पद पर गुगल, स्विट्जरलैंड में प्लेसमेंट हुआ है। मैं ने एक सपना देखा वो पूरा हुआ।यह जानकर कर मैं काफी खुश हूँ।यह भी कहती हैं कि यदि आप आईआईटी,नीट जैसे संस्थानों से शिक्षा ग्रहण नहीं किए हैं तब भी मेहनत के बल पर किसी भी मुकाम को हासिल कर सकते हैं। मधुमिता ने बताया कि मेरी प्रारंभिक शिक्षा वाल्मी, डीएवी से हुई है। इस के बाद आर्य कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, जयपुर से कम्पयुटर साईंस में बीटेक करने के बाद एपीजी बंगलुरू में मेरा प्लेसमेंट हुआ। वे अपने प्रेरणास्रोत के रूप में अपने माँ-पिता एवं पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का नाम लेती हैं।
मेरी माँ चिंता शर्मा और पिता सुरेन्द्र शर्मा जो इस समय सहायक कमान्डेंट रेलवे सुरक्षा बल के पद पर सोनपुर रेल मंडल में कार्यरत हैं।उन्होंने मेरा सपना पूरा करने के लिए मुझे हर तरह का सहयोग और उत्साहवर्धन दिया है।अपने माँ-पिता के कर्ज को मैं कभी भूल नहीं पाऊंगी।मेरा भाई भी इंजीनियरिंग और बहन भी मेडिकल की तैयारी कर रही है।मधुमिता का कहना है कि पैसा कमाना मेरा मकसद नहीं है।बचपन से सुनती आ रही हूँ कि बेटियां घर,परिवार पर बोझ होती हैं, उन्हें लाखों का दहेज़ देना पड़ता है।इसके बाद भी अगर उसके भाग्य ने उसका साथ नही दिया तो उसे जीवन भर रोना पड़ता है। शायद यही वजह है कि मैंने सोचा कि मैं खुद को बुलंद करूँ ताकि समाज बेटियां पर भी गर्व करे। मैं आज की लड़कियों से कहना चाहती हूँ कि वे अपने जीवन में ऐसा मुकाम हासिल करें कि बेटियों पर भी समाज और देश को गर्व हो और धनोपार्जन करके वे अपनी पारिवारिक जरूरतों को भी पूरा कर सकें।अगर ऐसा हो तो फिर कोई बेटी किसी पर भी बोझ न बनेगी।खगौल की बेटी की इस सफलता को लेकर खगौलवासी भी काफी खुश हैं। क्योंकि इस बेटी ने खगौल के साथ साथ बिहार का भी नाम रौशन किया है।
जय हो बिहार
आशुतोष उपाध्याय