पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवगौड़ा ने कांग्रेस पार्टी के प्रदर्शन पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि देश की जनता उन्हें बड़ा सबक सिखाएगी। उन्होंने कांग्रेस के विभिन्न राज्यों में प्रदर्शन की कड़ी आलोचना की और इसके सहयोगियों की सहनशीलता पर भी सवाल उठाए।
कांग्रेस का प्रदर्शन: कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में निराशाजनक :
देवगौड़ा ने अपने बयान में कहा, "कांग्रेस ने कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में, जहां वह शासन कर रही है, खराब प्रदर्शन किया है।" उन्होंने इन राज्यों में कांग्रेस सरकारों की नीतियों और कार्यों पर सवाल उठाए, जिससे जनता में असंतोष बढ़ रहा है।
1.कर्नाटक
कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार ने अपने कार्यकाल में कई विवादास्पद निर्णय लिए हैं, जिससे विकास कार्यों पर असर पड़ा है। देवगौड़ा ने कहा कि जनता इन नीतियों से नाराज है और आगामी चुनावों में कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
2.तेलंगाना
तेलंगाना में भी कांग्रेस की सरकार को विकास के मुद्दों पर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। देवगौड़ा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने चुनावी वादों को पूरा करने में विफलता दिखाई है, जिससे जनता का विश्वास डगमगा गया है।
3.हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस की स्थिति मजबूत नहीं है। देवगौड़ा ने कहा कि यहां की जनता कांग्रेस की नीतियों से नाखुश है और इसे आगामी चुनावों में बाहर का रास्ता दिखा सकती है।
सहयोगियों की सहनशीलता पर सवाल :
देवगौड़ा ने अन्य राज्यों में कांग्रेस के प्रदर्शन पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा, "अन्य राज्यों में, कांग्रेस ने अपने सहयोगियों की वजह से बेहतर प्रदर्शन किया है।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह देखना होगा कि कांग्रेस के सहयोगी पार्टियां कब तक उसे सहन करेंगी।
1.महाराष्ट्र और झारखंड
महाराष्ट्र और झारखंड में कांग्रेस ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार बनाई है। देवगौड़ा का मानना है कि यहां कांग्रेस की स्थिति सहयोगी दलों पर निर्भर है, और इन दलों की सहनशीलता सीमित हो सकती है।
2.पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु
पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में कांग्रेस का प्रभाव सीमित है और वह यहां गठबंधन की राजनीति पर निर्भर है। देवगौड़ा ने संकेत दिया कि कांग्रेस को यहां भी अपने सहयोगियों के धैर्य की परीक्षा का सामना करना पड़ सकता है।
निष्कर्ष :
देवगौड़ा के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। कांग्रेस पार्टी के लिए यह एक चेतावनी के रूप में देखा जा सकता है, जो उसे अपने प्रदर्शन और नीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर सकता है। आगामी चुनावों में जनता का मूड और सहयोगियों की भूमिका महत्वपूर्ण साबित होगी।